ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक मुख्य अनुसंधान समूह ने कहा है कि विश्व भर में परमाणु-ऊर्जा के विस्तार से कार्बन-उत्सर्जन में इतनी कमी की सम्भावना नहीं जितना कि इससे विश्व में परमाणु हथियारों के बढ़ने का खतरा मौजूद है।
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परमाणु-ऊर्जा के निर्माण से पैदा होते परमाणु कचरे में प्लुटोनियम जैसे ऐसे रेडियो-एक्टिव तत्वों का यह प्रदूषण पर्यावरण में भी फैल सकता हैं तथा भूमिगत जल में भी परमाणु-ऊर्जा संयंत्रों में दुर्घटना व चोरी की सम्भावना भी मौजूद रहती है।
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परमाणु-ऊर्जा के निर्माण से पैदा होते परमाणु कचरे में प्लुटोनियम जैसे ऐसे रेडियो-एक्टिव तत्वों का यह प्रदूषण पर्यावरण में भी फैल सकता हैं तथा भूमिगत जल में भी परमाणु-ऊर्जा संयंत्रों में दुर्घटना व चोरी की सम्भावना भी मौजूद रहती है।
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खनिज तेल की कमी और उसके मूल्यों में अत्याधिक वृद्धि के कारण हमें सौर-ऊर्जा, परमाणु-ऊर्जा, तप्तकुंड ऊर्जा, ज्वार-भाटा तथा पवन-ऊर्जा की ओर ध्यान देना होगा, क्योंकि ऊर्जा के ये स्रोत सस्ते तथा न खत्म होने वाली ऊर्जा हैं।
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22 अगस्त को राष्ट्रीय राजधानी में आयोजित परमाणु ऊर्जा पर जन-सुनवाई में सरकार की परमाणु ऊर्जा नीति की आलोचना की गई और प्रभावित लोगों ने यह मांग की कि परमाणु-ऊर्जा विरोधी आंदोलनों के दमन को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया जा ए.
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इसके लिए लोगों के स्वास्थय तथा आजीविका पर इन परियोजनाओं के प्रभाव, भारत की वास्तविक ऊर्जा-जरूरतों, परमाणु ऊर्जा की सामाजिक तथा पर्यावरणीय कीमतों और फुकुशिमा के बाद दुनिया भर में परमाणु-ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के चलन को भी अनदेखा किया जा रहा है.
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हाल में पता चला है कि दुनिया में परमाणु-ऊर्जा के स्रोत थोरियम का विश्व का एक तिहाई भंडार हमारे समुद्रीय तटों पर भरा पड़ा है और देश के परमाणु ऊर्जा आयोग की जानकारी में इसका अवैध उत्खनन और निर्यात धड़ल्ले से हो रहा है।
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इसके लिए लोगों के स्वास्थय तथा आजीविका पर इन परियोजनाओं के प्रभाव, भारत की वास्तविक ऊर्जा-जरूरतों, परमाणु ऊर्जा की सामाजिक तथा पर्यावरणीय कीमतों और फुकुशिमा के बाद दुनिया भर में परमाणु-ऊर्जा पर निर्भरता कम करने के चलन को भी अनदेखा किया जा रहा है.
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→ भारत की सरकार की शह पर भारतीय कॉर्पोरेटों द्वारा अफ्रीका में जमीनों और संसाधनों की लूट → अरब के तानाशाहों को भारत द्वारा हथियारों की बिक्री → अरब में भारतीय श्रमिकों की दशा और सरकार की खामोशी → परमाणु-ऊर्जा के नाम पर धोखाधड़ी → विदेशों में भारतीयों द्वारा जमा काला-धन आदि।
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लेकिन उन्हें लागू कौन कराएगा? हमारे भ्रष्ट नेता और अफसर ही न.फ िर क्या गारंटी है कि हमारे नेता और अफसर चंद गाँधी-छाप कागज के टुकड़ों के लालच में नहीं आयेंगे और दूसरा-तीसरा भोपाल नहीं होगा? मित्रों, कुल मिलाकर इस समय पूरे भारत में परमाणु-ऊर्जा को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है.