पूर्वी रूढ़िवादी और कैथोलिक संस्कारों और झाडफूंक के पवित्र अनुष्ठानों, पवित्र जल के निर्माण, अभिषेक, वपतिस्मा, परम प्रसाद और मंगलकामना पावन मुद्रा से जुड़े हैं.
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बालक येसु की संत तेरेसा, तू ने वेदी के परम पवित्र संस्कार को / इतना प्यार किया / कि तू परम प्रसाद के द्वारा / इस संस्कार से संयुक्त होने की / तीव्र इच्छा से परिपूर्ण थी।
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संसार, शैतान या हमारी कमजोरियाँ / हमें तुझ से कभी अलग न करेें / क्योंकि हम सदा तेरे ही बना रहना चाहते हैं / जैसे हम ने हमारे बपतिस्मा / एवं प्रथम परम प्रसाद के समय प्रतिज्ञा की थी।
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वहाँ मध्यरात्री तक हम पारी-पारी से प्रभु येसु को परम प्रसाद के दान के लि ए धन्यवाद दें, अपने पापों के लि ए पश्चात्ताप करें तथा उनके प्रेम, मानव-एकता एवं सच्ची विश्व शाँति के लि ए भी प्रार्थना करें ।
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के नाम से भी जानते हैं मदर टेरेसा के लिए यह अवस्था करीब ५० साल, उनके जीवन के अंत तक, चली जिसमे “उन्होंने इश्वर की उपस्तिथि का कोई अनुभव नही किया”-“न ही उनके हृदय में और न ही परम प्रसाद में” जैसा की उनके पोस्तुलेटर (
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कैथोलिक चर्च ने पाप को दो प्रमुख वर्गों में विभक्त किया है: “क्षम्य पाप”, जो अपेक्षाकृत क्षुद्र होते हैं और किसी भी प्रकार के संस्कारिक नियमों अथवा चर्च के परम प्रसाद संस्कार ग्रहण के माध्यम से क्षमा किए जा सकते हैं एवं जितने अधिक “घातक” या नश्वर पाप होंगे उतने ही अधिक संगीन होंगे.
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कैथोलिक चर्च ने पाप को दो प्रमुख वर्गों में विभक्त किया है: “क्षम्य पाप”, जो अपेक्षाकृत क्षुद्र होते हैं और किसी भी प्रकार के संस्कारिक नियमों अथवा चर्च के परम प्रसाद संस्कार ग्रहण के माध्यम से क्षमा किए जा सकते हैं एवं जितने अधिक “घातक” या नश्वर पाप होंगे उतने ही अधिक संगीन होंगे.
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परम प्रसाद तथा बपतिस्मा. यह “जीवित जल” (अर्थात् बहता हुआ जल, जिसे जीवन का संकेत माना जाता है)[80] अथवा, यदि यह अनुपलब्ध हो, तो इसके प्राकृतिक तापमान पर, रूके हुए जल में निमज्जन के द्वारा बपतिस्मा को प्राथमिकता देता है, लेकिन यह मानता है कि, जब निमज्जन के लिये पर्याप्त जल उपलब्ध न हो, तो सिर पर जल छिड़कना पर्याप्त होता है.