परिप्रश्न (सं.) [सं-पु.] किसी बात या घटना आदि का पता लगाने के लिए किया जाने वाला प्रश्न।
22.
प्रणिपात अर्थात विनम्र शरणागति, परिप्रश्न अर्थात अपने तप से तपा हुआ सटीक प्रश्न और सेवा से संतुष्ट हुए तत्वदर्शी ज्ञानीगण ज्ञान का उपदेश देते है।
23.
जिज्ञासा, भ्रम और शंका की सिढ़ियों का पार करते हुये अर्जुन प्रश्न और उससे भी विकसित परिप्रश्न तक पहुँचता है और भगवान से अंतिम ज्ञान प्राप्त करता है।
24.
बाबा-यदि परिप्रश्न और प्रश्न दोनों का अर्थ एक ही है, तो फिर व्यास ने परिउपसर्ग का प्रयोग क्यों किया क्या व्यास की बुद्घि भ्रष्ट हो गई थी ।
25.
बाबा-यदि परिप्रश्न और प्रश्न दोनों का अर्थ एक ही है, तो फिर व्यास ने परिउपसर्ग का प्रयोग क्यों किया क्या व्यास की बुद्घि भ्रष्ट हो गई थी ।
26.
बाबा-यदि ' परिप्रश्न ' और ' प्रश्न ' का एक ही अर्थ है तो व्यास ने ' परि ' उपसर्ग क्यों लगाया? क्या उसका सिर फिर गया था?
27.
बाबा-कृष्ण अर्जुन को ज्ञानी या तत्वदर्शी के पास जा कर साष्टांग दण्डवत करने, परिप्रश्न और सेवा करने का निर्देश क्यों देते हैं जब कि कृष्ण स्वयं ‘तत्वदर्शन' और ‘ज्ञान' ही हैं?
28.
सुशील से हम पूछते, ‘ सड़क से चिपकी, विकृत-सी मनुष्य आकृति, क्यों? ' अत्यन्त सहजता से किन्तु दर्द के साथ सुशील परिप्रश्न करते, ‘ क्या मानवता विकृत नहीं हुई? '
29.
यदि सत्य का ही पालन नहीं होगा तो वह ब्रह्म विद्या कैसे समझ में आएगी।” इसी संदर्भ में शास्त्री जी की स्थापना है कि गुरु के प्रति विनय, परिप्रश्न का अधिकार, सेवा का भाव आवश्यक तत्व हैं।
30.
बाबा-कृष्ण अर्जुन को ज्ञानी या तत्वदर्शी के पास जा कर साष्टांग दण्डवत करने, परिप्रश्न और सेवा करने का निर्देश क्यों देते हैं जब कि कृष्ण स्वयं 'तत्वदर्शन' और 'ज्ञान' ही हैं?नाना-हाँ, वे थे तो।