(ख) “माल के परेषण पर कर” पद से माल के परेषण पर (चाहे प्रेषण उसके करने वाले व्यक्ति को या किसी अन्य व्यक्ति को किया गया हो) उस दशा में कर अभिप्रेत है जिसमें ऐसा प्रेषण अंतरराज्यिक व्यापार या वाणिज्य के दौरान होता है।
22.
इन उपायों में शामिल हैं:-(1) कीमती धातु छीलन और प्रयुक् त आभूषणों को गलाने, परिष् कृत करने तथा पुन: निर्यात की अनुमति देना ; (2) परेषण आधार पर आभूषणों के निर्यात की अनुमति देना ;
23.
269. संघ द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किंतु राज्यों को सौंपे जाने वाले कर-2[(1) माल के क्रय या विक्रय पर कर और माल के परेषण पर कर, भारत सरकार द्वारा उद्गृहीत और संगृहीत किए जाएँगे किन्तु खंड (2) में उपबंधित रीति से राज्यों को 1 अप्रैल, 1996 को या उसके पश्चात् सौंप दिए जाएँगे या सौंप दिए गए समझे जाएँगे।