कथ्य के स्तर पर यह कहा गया है कि अंसतोषजन्य आक्रोश इसका मुख्य भाव है, रचनात्मक क्रांति इसका लक्ष्य है, व्यवस्था के प्रति आक्रोश इसकी भावभूमि है, दुरभिसंधियों का पर्दाफ़ाश करना इसकी मंशा है और जागृति प्राप्तव्य है।
22.
जब इंडिया टीवी तथा राष्ट्रीय हिंदी साप्ताहिक नई दुनिया के नवी मुंबई के वरिष्ठ संवाददाता सुरेश दास ने अपनी ख़बरों में विनोद गंगवाल और यहां के एक स्थानीय केबल टीवी न्यूज चैनल “ए प्लस” के काले कारनामों का पर्दाफ़ाश करना शुरू किया, तब विनोद गंगवाल अपने पाले हुए गुंडों के साथ उनके पीछे पड़ गया.
23.
वह बोलना चाहता है, दुरभिसंधियों का पर्दाफ़ाश करना चाहता है और अ-व्यवस्था के प्रति अपना आक्रोश दर्ज़ करना चाहता है-मैं बोलना चाहता हूँ / वो मेरी ज़बान पकड़ लेताहै: इस तरह मत बोलो / मैं उँगली दिखाता हूँ कि उधर देखो / उधर ग़लत हो रहा है / वह रोकता है कि उँगली मत दिखाओ / यह ख़तरनाक है (राजेश जोशी: मैं बोलना चाहता हूँ) ।