इसमें श्री विष्णु के पाँच अवतारों की मूर्तियाँ हैं और मंदिर का पवित्रस्थान विष्णु की पत्नि, जिसे यहाँ वेदवल्लीअम्माई के नाम से जाना जाता है, उसके प्रति समर्पित है।
22.
और भीतर वाले उस पवित्रस्थान की लम्बाई बीस हाथ, चौड़ाई बीस हाथ, और ऊंचाई बीस हाथ थी, और उसने उसे चोखे सोने से मढ़वाया और वेदी पर देवदार के तख्.
23.
परम (भीतर वाला) पवित्रस्थान ऐसा स्थान था जहां परमेश्वर बस कर अनुग्रह प्रदान करता था, और उसके अन्दर वाचा का सन्दूक रखा गया था जो जीवन के वृक्ष को दर्शाता है।
24.
इस मंदिर (पवित्रस्थान) में वाचा का संदूक था, जिसमें मन्ना से भरा हुआ सोने का मर्तबान और हारून की फूली-फली लाठी तथा वाचा की पटियां थीं जो मूसा ने परमेश्वर से लीं।
25.
मूसा के द्वारा एक सप्ताह तक सामग्रियों को एकत्रित करके पवित्रस्थान का निर्माण पूरा करना भविश्यवाणी है कि लकड़ी या मंदिर की सामग्रियों से दर्शाए गए 144, 000 लोग इकट्ठे करने से पृथ्वी पर सुसमाचार का कार्य पूरा होगा।
26.
प्रतिदिन लोगों के पाप अल्पकाल के लिए पवित्रस्थान में लादे जाते थे, और वे पाप प्रायश्चित्त के दिन अजाजेल बकरे के सिर पर लाद कर अजाजेल को जंगल में भेजते थे, तो वह वहीं मर जाता था।
27.
जैसा हाबिल ने लहू के साथ बलिदान चढ़ाया और इसके कारण, परमेश्वर ने उस बलिदान को ग्रहण किया, वैसा ही परम पवित्रस्थान में, जिसकी रक्षा करूब करते थे, प्रवेश करने के लिए लहू का बहाया जाना अति आवश्यक था।
28.
परदे से पवित्रस्थान और परम पवित्रस्थान बांटा गया था, लेकिन मसीह ने, जो मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक है, अपने बहुमूल्य लहू की सामर्थ्य से परदे को फाड़ कर ऐसा रास्ता खोला कि कोई भी परम पवित्रस्थान के अन्दर प्रवेश करके जीवन के वृक्ष के पास जा सकता है।
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परदे से पवित्रस्थान और परम पवित्रस्थान बांटा गया था, लेकिन मसीह ने, जो मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक है, अपने बहुमूल्य लहू की सामर्थ्य से परदे को फाड़ कर ऐसा रास्ता खोला कि कोई भी परम पवित्रस्थान के अन्दर प्रवेश करके जीवन के वृक्ष के पास जा सकता है।
30.
परदे से पवित्रस्थान और परम पवित्रस्थान बांटा गया था, लेकिन मसीह ने, जो मलिकिसिदक की रीति पर महायाजक है, अपने बहुमूल्य लहू की सामर्थ्य से परदे को फाड़ कर ऐसा रास्ता खोला कि कोई भी परम पवित्रस्थान के अन्दर प्रवेश करके जीवन के वृक्ष के पास जा सकता है।