किन्तु बहुत पश्चात्ताप का विषय यह है कि आज विद्रूपण, प्रदूषण या विषाक्तीकरण ऐसे उत्कर्ष पर पहुँच गया है कि अब इनकी भी शुद्धता या विशवसनियता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है.
22.
बड़े पश्चात्ताप का विषय है कि हम अपने आप को ढूँढ नहीं सके, जान नहीं सके, पहचान नहीं सके और जगन्नियन्ता को जानने के लिये बिना किसी अवलम्बन के अंतरिक्ष में छलाँग लगाने।
23.
किन्तु बहुत पश्चात्ताप का विषय है कि लोग या पंडित सीधे वैदिक मन्त्र “ आपो हिष्ठा मयो भूयाद--” के साथ घरो में इसकी प्राण प्रतिष्ठा के स्थान पर स्थापना ही करा देते है.
24.
इस पर हमें बार-बार विचार करना चाहिए और यह सोचना चाहिए कि जो बहुमूल्य समय शेष है, उसेकिस रीति-नीति के साथ व्यतीत किया जाए ; ताकि जीवन समाप्त होने पर पश्चात्ताप का भागी न बनना पड़े।
25.
बड़े पश्चात्ताप का विषय है कि दूसरे लोगो को इस आधुनिक प्रणाली का अनुकरण करने की राय देने वाले देश या संसार के विकास एवं उन्नति के ठेकेदार स्वयं इसके विपरीत आचरण कर जन समुदाय को ठगते चले आ रहे है।
26.
किन्तु पश्चात्ताप का विषय यह है की नित्य इन घटनाओं से रूबरू होने के बावजूद भी अपनी हठ वादिता एवं आत्म विशवास की कमी के कारण इसके मूल कारणों को ढूँढने के बजाय हम पुनः वही तरीका इस्तेमाल करने लगते है।
27.
“ परंतु उस समय सुक्खी के मुख पर पश्चात्ताप का भाव आने के बजाय वह चिल्लाकर बोला, ” तौ ऊ का सम्हार के काहे नाहीं बैठी रहौ? `` एक सिपाही ने क्रोध में आकर सुक्खी को गरियाते हुए उसको एक बेत मार दिया।
28.
किन्तु बड़े पश्चात्ताप का विषय है कि हठ, पूर्वाग्रह या अज्ञानता के कारण आज के “ हाई टेक ” ज्योतिषी इस श्रमसाध्य गणित आदि जटिल प्रक्रिया से घबराकर अशुद्धि को जान बूझ कर प्रश्रय देते हुए ज्योतिष के समूल उत्खनन में जी जान से जुट गये हैं.
29.
किन्तु बड़े ही पश्चात्ताप का विषय है कि इस समस्त सैद्धांतिक विधान को दूषित, लाञ्छित एवं भ्रमात्मक करते हुए प्रमाद, अज्ञान या किसी पूर्वाग्रह की अशुभ प्रेरणा से स्वार्थ की येन केन प्रकारेण पूर्ति हेतु इसे कुछ एक मन्त्र-विधान या यंत्र-तंत्र तक सीमित कर इस पर अविश्वास का आवरण पड़ने को बढ़ावा दिया जा रहा है.