जाणे मिल्या रामदेव वाने किया निहाल २२अगस्त को जोधपुर का मंजर ही कुछ और था. दूर दूर से उमड़ता जन सैलाब बसों,ट्रेनों में पाँव रखने की जगह नहीं छतों पर भी लोग सवार थे.झुंड के झुंड लोग बाबा की ध्वजा हाथ में लिए बाबा के जयकारे से आकाश को गूंजा रहे थे.जोधपुर से 205
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दुपहर का वक्त हो चला था, बाजार में आस पास के गाँवों से आने वाले ग्राहकों की भीड़ धीरे धीरे बढ़ने लगी थी, दुकानों के बीचों बीच रास्ते पर भीड़ इतनी बढ़ गयी थी की पाँव रखने की जगह न थी फिर भी उन सबके बीच किसी प्रकार गणेश अपने रास्ते चल रहा था, अब वह पूरी तरह उकता चुका था.