अर्थात-शास्त्रविहित आचरण करने वाले व्यक्ति उत्तम योनियों को प्राप्त होते हैं और पापाचारी पाप योनियों को प्राप्त होते हैं।
22.
दुराचारी मन ने, पापाचारी इच्छाओं ने, भयभीत विचारों ने राग-द्वेष के तरंगों ने तुम्हें अपनी महिमा से वंचित रखा था।
23.
इनमें जो सबसे छोटा पुत्र था, स्वकीय दोष के कारण पापाचारी हो गया, इसलिए पिता तथा कुटुंबीजनों ने उसे त्याग दिया।
24.
इसमें एक बात यह समझने की है कि मन पहले का चाहे जितना दूषित हो, पहले का चाहे जितना दुराचारी व पापाचारी हो, उसकी परवाह नहीं।
25.
अपने आत्मतत्व से द्वेष करने वाले मूढ़ पापाचारी क्रूर कर्मी अधम मनुष्य इस संसार में बार-बार मूढ़ योनि अथवा मूढ़ मनुष्यों के रूप जन्म लेते हैं।
26.
इसमें एक बात यह समझने की है कि मन पहले का चाहे जितना दूषित हो, पहले का चाहे जितना दुराचारी व पापाचारी हो, उसकी परवाह नहीं।
27.
चाहे पुत्र कितना भी दुष्ट और पापाचारी क्यों न हो, मा को गाली भी देने के पहले उसे मा के संबोधन से ही संबोधित करेगा.
28.
इसमें एक बात यह समझने की है कि मन पहले का चाहे जितना दूषित हो, पहले का चाहे जितना दुराचारी व पापाचारी हो, उसकी परवाह नहीं।
29.
भावार्थ: उन द्वेष करने वाले पापाचारी और क्रूरकर्मी नराधमों को मैं संसार में बार-बार आसुरी योनियों में ही डालता हूँ॥ 19 ॥ आसुरीं योनिमापन्ना मूढा जन्मनि जन्मनि।
30.
कहीं किसी दुराचारी पापाचारी से व्यवहार में काम पड़े तो उससे इसी प्रकार मिलो जैसे पाखाने में जाते हो-काम किया और हटे-वहाँ अधिक रुकने की आवश्यकता नहीं।