दोस्तों के हुक़ूक़ की अदायगी ही दर हक़ीक़त दोस्ती को मज़बूत और पायदार करती है लेकिन उसके अलावा भी क़ुछ ऐसे असबाब व अवामिल हैं जो दोस्ती के रिश्ते के लिये निहायत मुफ़ीद शुमार होते हैं जैसा कि अमीरल मोमिनीन (अ) फ़रमाते हैं:
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लेकिन अफ़सोस कि यह हालत चन्द हफ़्तो के बाद जारी न रह सकी है, जैसे ही हालात बदले वह मानमवी जज़बा बी बदल गया, काश के वह हालात पायदार होते उस हालत का एक लम्हा भी एक पूरे जहान से ज़्यादा अहमियत रखता था!
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73. हाजत रवाई (परोपकार) तीन चीज़ों के बग़ैर पायदार (दृढ़) नहीं होती, उसे छोटा समझा जाए ताकि बड़ी करार पाए, उसे छिपाया जाए तारि वह खुद ब खूद (स्वतः) ज़ाहिर हो, और उसमें जल्दी की जाए ताकि वह खुशगवार हो।
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मार्लबोरो ' कंपनी की बनी सिगरेट के धुएँ में न जाने कितना कार्बन मोनोऑक्साइड था कि दुखीराम के भेजे में पसरा क्लोरोफार्म हलक़ से बोलती के साथ बाहर निकल आया-“ साहब, जब अंकित पायदार ने क्लास में बच्चों को यह कहानी सुनाई तो मैंने उनका विरोध किया था कि इससे बच्चों में गलत संदेश जाता है.
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और बेशक जो कुछ उसपर है एक दिन हम उसे पटपर मैदान छोड़ेंगे कर (12) {8} (12) और आबाद होने के बाद वीरान कर देंगे औ पेड़ पौथे वग़ैरह जो चीज़ें सजावट की थीं उनमें से कुछ भी बाक़ी न रहेगा तो दुनिया की अस्थिरता, ना-पायदार ज़ीनत पर मत रीझो.
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क्या तुम उन्हीं साबिक़ा लोगों (भूतपूर्व लोगों) के घरों में नहीं बसते जो लम्बी उम्रों (आयु) वाले, पायदार निशानियों (दृढ़ चिन्हों) वाले, बड़ी बड़ी उम्मीदें बांधने वाले, ज़ियादा गिन्ती व शुमार (अधिक गणना) वाले, और बड़े लाव लश्कर वाले थे? वह दुनिया की किस किस तरह परस्तिश (पूजा) करते रहे और उसे आख़िरत (परलोक) पर कैसी कैसी तर्जीह (प्राथमिकता) देते रहे।