ऋग्वेद पैलकों को, यजुर्वेद वैश पायन को, सामवेद जैमुनि को तथा अथर्ववेद सुमन्तु को,-ये चारों शिष्य व्यास के पास वेदा यासार्थ रहे।
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साँसों की संतूर बजी थी पायन की खनखन यारों जेठ माह की भरी दुपहरी बरस गया सावन यारो कंगना खनका संयम बहका प्यासा-प्यासा मन भीगा ।
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रसखान ने अपने पद में यहाँ की झाँकी का वर्णन इस प्रकार किया है-“ देख्यो दुरयो वह कुंज कुटीर में, बैठयो पलोटत राधिका पायन ” ।
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यही बात आत् मकथा के प्रकाशक शिल् पायन के हमारे मित्र Lalit Sharma ने भी बाद में कही, जब समारोह खत् म होने के बाद उनसे मिला।
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यही बात आत् मकथा के प्रकाशक शिल् पायन के हमारे मित्र Lalit Sharma ने भी बाद में कही, जब समारोह खत् म होने के बाद उनसे मिला।
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बृज का रसिया खेले होरी..................... ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ (राधा: स्वगत:) (नाइन के भेस श्याम पायन पखार के, एडींन महावर सुरंग अंग दिनों है!
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निवेदन है कि थोड़ा सा सुधार कर दीजिए-किताब का दूसरा संस् करण शिल् पायन से मुद्रित और वितरित होगा पर प्रकाशक ' शाइनिंग स् टार ' ही रहेगा।
28.
हम एक निहायत छोटी जगह से प्रकाशन चला रहे हैं, मुद्रण और वितरण के लिए हमने शिल् पायन के श्री ललित शर्मा जी से सहयोग का अनुरोध किया, जिसे उन् होंने स् वीकार किया।
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शिल् पायन बहुत सम् माननीय प्रकाशन संस् थान है, उसे तुरंत इस बारे में पूरी जानकारी देकर भ्रम दूर करना चाहिए और आवश् यक हो तो लेखक से क्षमायाचना करने में संकोच नहीं होना चाहिए।
30.
प्रसंगवश यहां उल् लेखनीय यह कि उनका पहला कविता-संग्रह ' यह मौसम पतंगबाजी का नहीं ' करीब दशक भर पहले आया था अब दूसरा ' कंकड़-पत् थर ' (शिल् पायन से) शीघ्र प्रकाश् य है।