लेनिन ने भी ऐसा कहा था और बोल्शेविक पार्टी के लोग अपने वर्चस्व वाली यूनियनों तथा अन्य यूनियनों में काम करने के अतिरिक्त मजदूर बस्तियों में खेलकूद एवं मनोरंजन क्लब, पुस्तकालय, वाचनालय, प्रौढ़ पाठशाला, रात्रि पाठशाला, पारस्परिक सहायता ग्रुप, सहकारी समितियाँ, मजदूर कौशल प्रशिक्षण केन्द्र, स्वयंसेवक दस्ते आदि अनेक संस्थाएँ संगठित करते थे।
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इस ' समाज ' के कार्यक्रम का सारांश इन शब्दों में मिल सकता है-” स्त्री-समाज में परस्पर स्नेह और सहयोग की भावना उत्पन्न करना, शिक्षा का प्रचार, स्त्री जाति के सम्मुख पारस्परिक सहायता तथा सद्भावना का आदर्श उपस्थित करना, महिलाओं में साहित्य के लिए प्रेम बढा़ना और इसके लिए पुस्तकालय तथा वाचनालय खोलना, विद्वान वक्ताओं के व्याख्यान कराना, प्रवचन, कीर्तन आदि द्वारा ज्ञान का प्रसार करना, वाद-विवाद (डिबेट) की प्रतियोगिता की व्यवस्था करना, विविध कलायें सिखाना, स्वदेशी अर्थशास्त्र समझाना इत्यादि।