यथा राम (पु.) अभिराम (नपु.). प्रायः लघुत्व वाचक स्त्रीलिंग होते हैं और महत्ववाचक पुल्लिंग होते हैं पर कई बार महत्ववाचक भी स्त्री लिंग होते हैं पर ऐसा तभी होता है जब ये महत्ववाचक पुल्लिंग के, समाज व्यवस्था के, पितृपक्षीय निर्णयों और निहितार्थों के कारक होते हैं.
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कबीर के उक्त पद के काव्य संवेदन संसार इब्बन बतूता के वर्णनों के साथ पढ़ा जाय तो पितृपक्षीय दृष्टियों का वह कमाल उजागर हो जाता है जो कि काव्य संवेदना को रहस्यवाद का जामा पहनाकर स्त्री इतिहास के करुणतम पक्ष को भी जिन्दा दफन कर देता है, स्त्री के जिन्दा जलाये जाने के अनुष्ठान और विवाह के उत्सव दोनों में घालमेल कर डालता है।