यदि यह एक लघु ब्रह्माण्ड है, तो सोचें, कि माथे से पिनियल ग्रंथि की दूरी एक लाख आठ हजार ली 2 से अधिक है।
22.
दिव्य नेत्र जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, वास्तव में, दोनों भौहों के बीच कुछ ऊपर स्थित है, तथा यह पिनियल ग्रन्थि से जुड़ा है।
23.
यदि यह एक लघु ब्रह्माण्ड है, तो सोचें, कि माथे से पिनियल ग्रंथि की दूरी एक लाख आठ हजार ली 2 से अधिक है।
24.
दिव्य नेत्र जिसकी हम चर्चा कर रहे हैं, वास्तव में, दोनों भौहों के बीच कुछ ऊपर स्थित है, तथा यह पिनियल ग्रन्थि से जुड़ा है।
25.
मन को आज की भाषा में डॉक्टर लोग जो कहते हैं, हाला की वो है नहीं लेकिन डाक्टर कहते हैं मन पिनियल गलॅंड हैं, इसमे से बहुत सारा रस निकलता है ।
26.
यानि, जो हम नेत्रों द्वारा देखते हैं वह ऑप्टिक नर्व द्वारा मस्तिष्क के पिछले भाग में पिनियल ग्रंथि को भेज दिया जाता है, और तब यह उस भाग में चित्र की भांति परावर्तित होता है।
27.
जिसे हम दिव्य नेत्र का खुलना कहते हैं उसमें मानवीय आप्टिक नर्व के प्रयोग के बिना ही व्यक्ति की भौहों के बीच से एक मार्ग खुल जाता है जिससे पिनियल ग्रन्थि सीधे बाहर देख सकती है।
28.
जिसे हम दिव्य नेत्र का खुलना कहते हैं उसमें मानवीय आप्टिक नर्व के प्रयोग के बिना ही व्यक्ति की भौहों के बीच से एक मार्ग खुल जाता है जिससे पिनियल ग्रन्थि सीधे बाहर देख सकती है।
29.
यानि, जो हम नेत्रों द्वारा देखते हैं वह ऑप्टिक नर्व द्वारा मस्तिष्क के पिछले भाग में पिनियल ग्रंथि को भेज दिया जाता है, और तब यह उस भाग में चित्र की भांति परावर्तित होता है।
30.
जिनको हम हार्मोन्स, एंझाईम्स कह सकते है ये पिनियल ग्लॅंड (मन) संतुष्टी के लिए सबसे आवश्यक है, तो भोजन आपको अगर तृप्त करता है तो पिनियललॅंड आपकी सबसे ज्यादा सक्रीय है तो जो भी एंझाईम्स चाहीए शरीर को वो नियमित रूप मंे समान अंतर से निकलते रहते है ।