| 21. | लोही सींची तेल ज्यों, कब मुख देखू पीव ॥
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| 22. | एकै आखर पीव का, पढ़ै सो पंडित होइ॥ 19
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| 23. | एकै आखर पीव का पढ़ै, सु पंडित होय।
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| 24. | एक सबद कह पीव का कबर
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| 25. | छक छक पीव मद-रस मोरे राज्जा
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| 26. | आत्माराम यादव पीव की 9 कविताएँ
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| 27. | आत्माराम यादव, पीव की 5 कविताएँ
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| 28. | सगुरा होइ सो भरि भरि पीव, निगुरा जाइ प्यासा।।
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| 29. | तन मेरा मन मेरा पीव का दोनों भए एक संग।
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| 30. | हद बेहद की गम लखे तासो पीव हजूर. ”
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