शीला की जवानी गाने में भारतीय नारी के बारे में चल रहे एक और भ्रम से भी पर्दा उठाया है कि भारतीय नारी सिर्फ प्रेम की पुजारन है ।
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-अरविंद पाण्डेय शिवपुराण पर आधारित है भक्ति गीत: डीआईजी बाबा गरीबनाथ मंदिर प्रांगण में शनिवार को बिहार भक्ति आंदोलन की प्रस्तुति शिव की पुजारन आडियो कैसेट का लोकार्पण किया गया।
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पत्रावली पर दाखिल आरोप पत्र की पुश्त पर सूची गवाहान में श्रीमती बन्दुली देवी पत्नी पूरन पुजारन का नाम क्रम संख्या-6 पर वर्णित है, जिसे अभियोजन पक्ष की ओर से परीक्षित नहीं करवाया गया।
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और इन उजाले अंधेरों से हमें रूबरू कराने वाली है एक ऐसी प्रेम की पुजारन, एक व्याकुल सुह्रिदया, मनमोहिनी, स्व अलंकृत, इन्द्रधनुषी रंगों से सराबोर, हमारी अपनी धरती माँ..
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वहां तो बोली नहीं, ओसारे मे जाकर राम रती यानि पंडत जी की घरैतन को सब दिखाया भी और समझाया भी | पुजारन ने माथा कूट लिया, पर अल्लादी माथा कूटने वालों मे से थोड़े ही है?
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जबकि न्यायालय द्वारा स्वयं संपूर्ण पत्रावली के अवलोकन से यह पाया गया कि श्रीमती बन्दुली देवी पत्नी श्री पूरन पुजारन, निवासी ग्राम-तिलाचौड़, जो मृतका के साथ बैठी थी, का साक्ष्य कराया जाना आवश्यक पाते हुए श्रीमती बन्दुली देवी को तलब किया जाना. 3. न्यायसंगत पाया।
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प्रस्तुत निगरानी निगरानीकर्तागण द्वारा अधिनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश दिनांकः30-3-2009 से क्षुब्ध होकर प्रस्तुत की गई है, जिसमें विचारण न्यायालय द्वारा पक्षकारों की बहस सुनने के उपरांत निर्णय पारित करने से पूर्व प्रस्तुत मामले में साक्षी श्रीमती बन्दुली देवी पत्नी श्री पूरन पुजारन को साक्ष्य में परीक्षित करवाया जाना आवश्यक पाया।
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कहाँ है कहाँ है कन्हैया-२समझे न प्यार मेरा-२मीठी-मीठी बाँसुरी से छीन ले क़रार मेरा-२कहाँ है कहाँ...ओ मोहे रतियाँ जगाए वो मेरी निंदिया चुराएढूँढूँ मैं शाम-सवेरे वो मोहे मिलने न पाएकहाँ है कहाँ...मैं उनकी भोली पुजारन हूँ पागल उनके कारनदो नैना लागे पिऊ से बनी मैं प्यार की जोगन-२कहाँ है कहाँ...मैं जीवन ऐसे गुज़ारूँ कि बैठी पंथ निहारूँमैं उनके साँस की सरगम तेरा ही नाम पुकारूँकहाँ है कहाँ...
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इसी बीच मोटी मिश्रानी जी भी आकर खड़ी हो गई थीं और अपना ही राग अलापने लगी थीं “ हमने तो कई बार समझाया पंडत जी को भी और माता जी को भी अक पुजारन की बातों में मत ना आया करो | क्यों अपना घर ख़राब करने पर्तुले हुए हो? वो तो अपने उन सीधे सादे जेठ जिठानी को ही ना निभा सकी | पर हमारी कोई सुने तब ना | सोचते होंगे अक इस मिश्रानी को क्या हक़ हमारे घर के मामलों में बोलने का … ”
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बा ‘ जी व रणछोड़सिंहजी का सुबह-सुबह मन्दिर आना और / दोपहरी में वहीं सुस्ताना रामू, राजू, कृष्णा और शिवा का तगारी या टोपले में मूँगफली लाना और टिटोड़ी से फोड़ना मोटी बाई और भालोड़न माँ का पुजारन माँ के साथ नासका लेना / और अमावस, पूनम पर राधेश्याम की आवाज के साथ पिताजी का गाँव भ्रमण पर जाना रह-रहकर याद आती है वे बातें / जो अभी भी लगती हैं ताजा नवोबा (निर्भयसिंहजी) का बड़बड़ाते हुए जाना और उमरावसिंहजी का रचित को गामा पहलवान कहना ।