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पुत्रजन्म उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.उसी रात हनुमानजी ने केशवदत्त को स्वप्न में दर्शन देते हुए कहा-तुम दोनों के मंगलवार के व्रत करने से प्रसन्न होकर पुत्रजन्म का वर मैंने प्रदान किया था, फिर तुम अपनी पत्नी को कुलटा क्यों समझते हो.

22.पुत्रजन्म के एक साल बाद ही पति का देहावसान किसी भी माँ के लिए बज्राधात से कम नहीं होता खासकर उस गरीब परिवार में जहाँ जीवनयापन का अर्थ सतत संघर्ष के सिवा कुछ और नहीं है-‘‘बस यही तो मेरा सहारा है, नहीं तो भला किसके लिए जी रही हूँ मैं।

23.इन्हें भी पढ़ेंलक्ष्मी रहें प्रसन्न तो हैपी दिवालीदशरथ पुत्रजन्म सुनि काना, मानहुं ब्रह्मानंद समानाबदलाव के लिए राम जी का मॉडल चाहिए या कृष्ण जीसीता स्वयंवर देख गूंजी तालियों की गड़गड़ाहटइंडोनेशिया में भी रचा बसा है रामायणसभी एनबीटी मेरा प्रोफाइलसाइन इन मेडल जीतने के लिएथर्ड अंपायरवेबसाइट पर आपत्तिजनक कॉमेंट खोजें और दर्ज करें।

24.पुत्रजन्म के एक साल बाद ही पति का देहावसान किसी भी माँ के लिए बज्राधात से कम नहीं होता खासकर उस गरीब परिवार में जहाँ जीवनयापन का अर्थ सतत संघर्ष के सिवा कुछ और नहीं है-‘‘ बस यही तो मेरा सहारा है, नहीं तो भला किसके लिए जी रही हूँ मैं।

25.आपरेशन किया और अगले वर्ष पुत्र का गृहआगमन हो गया जिसका नामकरण मैंने सुशील व सुनीता को जोडकर सुनील रखा और पुत्रजन्म के उपलक्ष में पार्टी आयोजित कर उसके निमन्त्रण कार्ड छपवाकर सबसे पहला कार्ड उन्हीं गुरुजी को देने गया जो चैलेन्ज कर चुके थे कि संतान (विशेष रुप से पुत्र) पैदा करके दिखाओ तो जानें ।

26.उन्होंने आवश्यक जांच करके पत्नी का छोटा सा DNC आपरेशन किया और अगले वर्ष पुत्र का गृहआगमन हो गया जिसका नामकरण मैंने सुशील व सुनीता को जोडकर सुनील रखा और पुत्रजन्म के उपलक्ष में पार्टी आयोजित कर उसके निमन्त्रण कार्ड छपवाकर सबसे पहला कार्ड उन्हीं गुरुजी को देने गया जो चैलेन्ज कर चुके थे कि संतान (विशेष रुप से पुत्र) पैदा करके दिखाओ तो जानें ।

27.पश्चाताप इस बात का है की स्त्री निर्दोष है, क्योंकि उसपर होने वाले हर प्रहार के लिए पुरुष ही दोषी है.परन्तु हे स्त्री कौन तुम्हें स्त्री विरोधी होने के लिए प्रेरित करता है, आखिर कौन है वो जो तुम्हें पुत्रजन्म पर थाली पीटने को मजबूर करता है और कन्या जन्म पर रोने को सुख की कीमत एक मूर्तिकार लगातार कई दिनों से जंगल से गुजरने के दौरान एक पेड़ के नीचे पड़े पत्थर पर अपनी थकान मिटाता था.

28.3. काम्य श्राद्ध: वह श्राद्ध जो किसी कामना की पूर्ती के उद्देश्य से किया जाए, काम्य श्राद्ध कहलाता है. 4. वृद्धि (नान्दी) श्राद्ध: मांगलिक कार्यों (पुत्रजन्म, विवाह आदि कार्य) में जो श्राद्ध किया जाता है, उसे वृद्धि श्राद्ध या नान्दी श्राद्ध कहते हैं. 5. पावर्ण श्राद्ध: पावर्ण श्राद्ध वे हैं जो आश्विन मास के पितृपक्ष, प्रत्येक मास की अमावस्या आदि पर किये जाते हैं.

29.पुत्रजन्म होते ही, उत्सव के खुमार में अलसायी स्त्रियों के बीच से सिध्दार्थ निकल पड़ते हैं, बोधि की राह पर और अनोमा (अनुपमा, आज की आमी) के तट पर आकर रथ से उतर जाते हैं और अपने राजसी वस्त्र सब उतारकर अपने सारथि छंदक को दे देते हैं, उसके पहले उनकी छंदक के साथ एक और रथयात्रा हो चुकी थी जब उन्हें जरा, रोग और मृत्यु का पहला दर्शन मिला था और वैराग्य का बीज उनके भीतर अंकुरित हुआ था।

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