भारतीयउद्योग को सहायता पहुंचाने के लिए, पूछताछ केन्द्र ने १८९ जांच पड़तालों काउत्तर दिया जो भारत के विभिन्न व्यक्तियों, उद्योग और सरकारी एजेन्सियों केद्वारा भारतीय विदेशी और अन्तर्राष्ट्रीय मानकों, तकनीकी विनियमों और प्रमाणनप्रणाली के बारे में पूछी गई थी.
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भारतीयउद्योग को सहायता पहुंचाने के लिए, पूछताछ केन्द्र ने १८९ जांच पड़तालों काउत्तर दिया जो भारत के विभिन्न व्यक्तियों, उद्योग और सरकारी एजेन्सियों केद्वारा भारतीय विदेशी और अन्तर्राष्ट्रीय मानकों, तकनीकी विनियमों और प्रमाणनप्रणाली के बारे में पूछी गई थी.
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नई दिल्ली, 12 फरवरीः रेलगाड़ियों के आगमन प्रस्थान, गाडियों की विभिन्न श्रणियों में आरक्षित सीटों की उपलब्धता एवं पीएनआर संबंधी जानकारी के लिए 139 नंबर पर रेलवे के केन्द्रीकृत पूछताछ केन्द्र देश के सभी भागों में चालू हो गये हैं.
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गैट पूछताछ केन्द्र-ब्यूरो में काम कर रहे व्यापार में तकनीकी अवरोध पर गैटसमझौते के अन्तर्गत स्थापित पूछताछ केन्द्र ने अन्य देशों के तकनीकी विनियमों केबारे में गैट हस्ताक्षरकर्ताओं से २२८ अधिसूचनाएं प्राप्त की और उनमें से ७अधिसूचनाएं भारत के लिये थी.
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गैट पूछताछ केन्द्र-ब्यूरो में काम कर रहे व्यापार में तकनीकी अवरोध पर गैटसमझौते के अन्तर्गत स्थापित पूछताछ केन्द्र ने अन्य देशों के तकनीकी विनियमों केबारे में गैट हस्ताक्षरकर्ताओं से २२८ अधिसूचनाएं प्राप्त की और उनमें से ७अधिसूचनाएं भारत के लिये थी.
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रपटा पुल के तिराहे पर एक मुख्यालय तथा पूछताछ केन्द्र निर्माण किया जा रहा है तथा इसी के साथ कन्ट्रोल रूम भी बनाया जा रहा है, जिसमें सभी विभाग के प्रमुख उपलब्ध रहेगे तथा वही इनका आवास भी रहेगा ।
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रेलवे का पूछताछ नंबर 139 पूरे देश में चालू नई दिल्ली, 12 फरवरीः रेलगाड़ियों के आगमन प्रस्थान, गाडियों की विभिन्न श्रणियों में आरक्षित सीटों की उपलब्धता एवं पीएनआर संबंधी जानकारी के लिए 139 नंबर पर रेलवे के केन्द्रीकृत पूछताछ केन्द्र देश...
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फ़र्क़ सिर्फ़ यह है कि उनकी कहानियां संयुक्त पूछताछ केन्द्र की अंधेरी कोठरियों, फ़ौजी कैम्पों और पुलिस थानों में घट रही हैं जहां उन्हें दाग़ा जाता है, पीटा जाता है, बिजली के झटके दिये जाते हैं, उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है और मार दिया जाता है।
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फ़र्क़ सिर्फ़ यह है कि उनकी कहानियां संयुक्त पूछताछ केन्द्र की अंधेरी कोठरियों, फ़ौजी कैम्पों और पुलिस थानों में घट रही हैं जहां उन्हें दाग़ा जाता है, पीटा जाता है, बिजली के झटके दिये जाते हैं, उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है और मार दिया जाता है।
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कभी ये स्थानीय महाराजा का निवास हुआ करता था और डल झील के नज़दीक एक सुरम्य स्थान था, मानवाधिकार समूह, जम्मू और कश्मीर नागरिक समाज गठबंधन के कार्यक्रम संयोजक खुर्रम परवेज़ कहते हैं कि आतंकवाद के चरम वर्षों, 1997 से 2007, में ये जगह आर्मी का पूछताछ केन्द्र बन गई थी।