स्वामीजी ने कहा-' मैं अपने मानस चक्षु से भावी भारत की उस पूर्णावस्था को देखता हूं, जिसका तेजस्वी और अजेय रूप में वेदान्ती बुद्धि और इस्लामी शरीर के साथ उत्थान होगा...
22.
4 किन्तु आचार्य परशुराम चर्तुवेदी के अनुसार ऐसे वर्णनों को देखने से प्रतीत होता है कि वे अपनी पूर्णावस्था की दृष्टि से कथन कर रहे है जहां पहुंच कर गुरू व चेले के सम्बन्ध का कोई प्रश्न ही नही रह जाता और साधक सिध्द बनकर ' ' आपै गुरू आप ही चेला '' की स्थिति में आ जाता है।