कुछ चुनिंदा पूर्ण पुरूष ही आगे चलकर ब्रह्म पुरूष बनते हैं जो कि दूसरों का मार्गदर्शन करते हैं और उन्हे परमात्मा प्राप्ति के मार्ग पर अग्रसर करते है।
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तुम् हारा उद्देश् य एक ऐसा ‘ सम् पूर्ण पुरूष ' बनना होना चाहिए जिसके जीवन में असीम आदर्शवाद के साथ व् यावहारिक बुद्धि का श्रेष् ठ सम्मिश्रण हो।
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अपने से ५ साल बड़ी महिला से प्रेम विवाह कर के, दो बच्चों के पिता बनके सचिन “ एक पूर्ण पुरूष ” की भूमिका मे ही रहे ।
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” मैं चाहती हूँ वह अपने आत्मविश्वास को न खोए, मैं उसकी सहधर्मिणी बनना चाहूँगी, उसकी अभिभाविका नहीं, इसलिए जरूरी है वह अपने-आप में समर्थ, पूर्ण पुरूष बने।
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कारण, लोकमत की रक्षा होती है, में उधर मरता जाता है. जान प़्अड़ता है कि मुक्त और पूर्ण पुरूष दोनों ओर से ही बना जा सकता होगा कम से कमभारतीय संस्कृति ऐसा मानती है.