" सेवा करने के इन सब प्रयत्नों में मेरे इस विश्वासकी प्रेरणा थी कि इस प्रकार की सेवाओं से अपने देश-बन्धुओं के लिए साम्राज्यमें पूर्ण समानता का पद प्राप्त करना सम्भव है.
22.
1982 में पार्टी ने अपनी 12 वीं राष्ट्रीय कांग्रेस में इसी आधार पर स्वाधीन स्वतंत्रता, पूर्ण समानता, आपसी सम्मान और एक दूसरे के अंदरुनी मामलों पर अहस्तक्षप ये चार सिद्धांत प्रस्तुत किये ।
23.
पूँजीवादी उत्पादन-सम्बन्ध के अन्तर्गत सामाजिक श्रम-विभाजन और तज्जन्य अलगाव के होते, न तो स्त्रियों की पराधीनता समाप्त हो सकती है और न ही पूर्ण समानता और स्वतन्त्रता पर आधारित स्त्री-पुरुष सम्बन्ध ही अस्तित्व में आ सकते हैं।
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पूँजीवादी उत्पादन-सम्बन्ध के अन्तर्गत सामाजिक श्रम-विभाजन और तज्जन्य अलगाव के होते, न तो स्त्रियों की पराधीनता समाप्त हो सकती है और न ही पूर्ण समानता और स्वतन्त्रता पर आधारित स्त्री-पुरुष सम्बन्ध ही अस्तित्व में आ सकते हैं।
25.
ऐसे में पारिभाषिक तौर पर तो पूरी दुनिया में पहले जिक्र किए गए सामान की उपलब्धता में सुधार, पूर्ण समानता की स्थिति तक भी, का भी मतलब यही रहेगा कि आसानी से दोबारा न बनाए जा सकने वाले उत्पाद लोगों के दिलोदिमाग पर छाए रहेंगे।
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ऐसे में पारिभाषिक तौर पर तो पूरी दुनिया में पहले जिक्र किए गए सामान की उपलब्धता में सुधार, पूर्ण समानता की स्थिति तक भी, का भी मतलब यही रहेगा कि आसानी से दोबारा न बनाए जा सकने वाले उत्पाद लोगों के दिलोदिमाग पर छाए रहेंगे।
27.
समाजवादी सोवियत संघ की सर्वहारा राज्यसत्ता ने दुनिया के इतिहास में पहली बार न केवल स्त्री समुदाय को कानूनी तौर पर पुरुषों के साथ पूर्ण समानता के अवसर प्रदान किये बल्कि सामाजिक-सांस्कृतिक-राजनीतिक जीवन में व्यवहारत: इसे लागू करने की दिशा में भी हर संभव कदम उठाये ।
28.
जनवादी प्रगतिशील और राजतान्त्रिक साहित्य द्वारा भरत में केवल वर्ग की ही बात करने से उपजी एकांकी दृष्टि के विपरीत दलित साहित्य समाजिक समानता और राजनीतिक भागीदारी को भी साहित्य का विषय बनाकर आर्थिक समानता की मुहिम को पूरा करता है-ऐसी समानता जिसके बगैर मनुष्य पूर्ण समानता नहीं पा सकता।
29.
परन्तु उद्योग-धन्धों के संसार में सर्वहारा जिस आर्थिक उत्पीड़न के बोझ के नीचे दबा हुआ है, उसका विषिष्ट रूप केवल तब स्पष्ट होता है, जब पूंजीपति वर्ग के तमाम कानूनी विषेषाधिकार हटाकर अलग कर दिये जाते हैं और कानून की नजरों में दोनों वर्गों की पूर्ण समानता स्थापित हो जाती है।
30.
दूसरा उन्होंने ' पड़ोसी देश ' (भारत) और बाहरी शक्तियों के हस्तक्षेप के मसले को देश की सम्प्रभुता का सवाल बनाकर उठाया और एक बार फिर 1816 की सुगौली सन्धिा से लेकर 1950 के समझौते तक भारत-नेपाल के बीच हुए सभी असमानतापूर्ण समझौतों की पुनर्समीक्षा करके, पूर्ण समानता के आधार पर नये समझौते की माँग की।