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पृथकत्व उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
21.श्री साईबाबा ने निश्चयात्मक स्वर में कहा है कि स्वयं ब्रहा और उनकी विश्व उत्पत्ति, रक्षण और लय करने आदि की भिन्न-भिन्न शक्तियों के पृथकत्व में भी एकत्व है ।

22.इस प्रकार तुम्हारी वृत्तियाँ केन्द्रित हो जायेंगी तथा ध्याता, ध्यान और ध्येय का पृथकत्व नष्ट होकर, ध्याता चैतन्य से एकत्व को प्राप्त कर ब्रहृ के साथ अभिन्न हो जायेगा ।

23. ' उन की कैकेयी जैसी जोड़ती है, ' मनुज हैं सब एक, फिर अलगाव कैसा? / है जगा पृथकत्व का यह भाव कैसा? / नृपति का है कार्य उन को भी उठाना, उन्हें भी मानव समझ, उर से लगाना।

24.यदि हम इसे सामाजिक आचार संहिता मानें तो एक ही समाज में रहने वाले सभी लोगों का आचरण एक ही संहिता से नियंत्रित क्यों न हो? जब हम किसी धर्म विशेष में आस्था की बात करते हैं तो पृथकत्व भाव की बात करते हैं.

25.ब्लास्ट फर्नेस रेखाचित्र 1. काउपर स्टोव से हॉट ब्लास्ट 2.मेल्टिंग क्षेत्र (बोश) 3. फेरस ऑक्साइड (बैरल) का न्यूनीकरण क्षेत्र 4.फेरिक ऑक्साइड (ढेर) का न्यूनीकरण क्षेत्र 5.प्री-हीटिंग क्षेत्र (गला)6.अयस्क, लाइमस्टोन, और कोक की आपूर्ति 7.इग्ज़ॉस्ट गैसेज 8.अयस्क, कोक और लाइमस्टोन का कॉलम 9.लावा का पृथकत्व 10.पिघले पिग आयरन का दोहन 11.अपशिष्ट गैसों का संग्रह

26.पूर्व मध्ययुग के ऐसे अनेक उदाहरण हैं जब कबायली क्षेत्राों में राज्य संरचना की प्रक्रिया में कबीलों के उदीयमान अभिजात वर्ग ने वर्ण जातिवादी सामाजिक वर्गीकरण अपना कर अपने राजनीतिक और आर्थिक हितों को वैध बनाया और कबीलों के आम लोगों से अपना पृथकत्व स्थापित कर उच्च प्रस्थिति और विशेषाधिकारों के हकदार बने।

27.अतः जब आपसे पूछा जाये कि काव्य का मूल्य काव्य केविखण्डन द्वारा प्राप्त साश्वस्तु में, और एतदर्थ चिन्तनात्मक विश्लेषण में निहितहै, अथवा इस विखण्डन-~ प्रणाली से उपलब्ध रूप-विधान में, तो आपका उत्तर होगा, यह मूल्य न तो सारवस्तु में है और न रूपविधान में और न उनके संयोजन में, वहकाव्य में सइनहित है जहां उनका पृथकत्व नहीं.

28.यह आकारगत विशेषता ही ऐसी विवादास्पद विशेष्ताा है जो कि अनेक विद्वानों के लिए लघुकथा के स्वरूप विवेचन करते समय महत्वपूर्ण समस्या रही है, क्योंकि कहानी कला में लघुता पर उसके स्वरूप की खोज में आकार की लघुता ही को महत्ता नहीं दी जा सकती पर उपन्यास या कहानी का मोटे तौर पर पृथकत्व इस आकारगत लघुता से ही आता है।

29.शरीर से पृथकत्व की भावना जब तक साधारण रहती है, तब तक तो साधक का मनोरंजन होता है, पर जैसे ही वह दृढ़ता को प्राप्त होती है, वैसे ही मृत्यु हो जाने जैसा अनुभव होने लगता है और वह वस्तुएँ दिखाई देने लगती हैं, जिन्हें हम साधना के स्थान पर बैठकर खुली आँखों से नहीं देख सकते ।

30.२ ६. ५ १ (चण्डिका देवी द्वारा मुण्ड असुर के शरों को इदषिकास्त्रों से नष्ट करने का उल्लेख), ब्रह्म १. ७. २ ७ (तारा द्वारा ईषिका स्तम्ब पर सोम के वीर्य से प्राप्त गर्भ को त्यागना?), १. १ २ ९. ८ ९ (आत्मा व इन्द्रियों के पृथकत्व-अपृथकत्व की इषीका और मुञ्ज की पृथकता-अपृथकता से तुलना), ब्रह्मवैवर्त्त ३.

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