किन्तु मनुष्य का स्वभाव इतना बिगड़ गया है कि वह शाक-भाजियों तथा अन्न आदि को उनके प्रकृत रूप में नहीं खा सकता ।
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जहाँ तक सम्भव हो खाद्य पदार्थों को प्रकृत रूप में ही खाना चाहिये अथवा मंदी आँच या भाप पर थोड़ा-सा ही पकाना चाहिये ।
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जहाँ तक सम्भव हो खाद्य पदार्थों को प्रकृत रूप में ही खाना चाहिये अथवा मंदी आँच या भाप पर थोड़ा-सा ही पकाना चाहिये ।
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सचमुच में, पहाड़ अपने पूरे वजूद में, सारे रूप-रंग के साथ सजीव हुआ है, संकलन की कविताओं में-बड़े सहज और अपने प्रकृत रूप में ।
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विराट् भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हुए तुलसी ने मानवीय एकता, समता, विश्व-बन्धुत्व, आपसी भाईचारे की स्थापना कर अभिजात्य पात्रों को प्रकृत रूप में प्रस्तुत किया।
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किंतु इनकी कहानियों में चित्रित उपेक्षित, पीड़ित, शोषित और दबा-कुचला वर्ग चाहे जिस क्षेत्र, वर्ग, संप्रदाय से संबद्ध है अपने प्रकृत रूप में दिखाई देता है।
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-श्यामा का नारीत्व कभी अपने प्रकृत रूप में प्रस्फुटित नहीं होता, स्पर्श की सम्भावना-मात्र से सिकुड़ने वाली छुई-मुई की भाँति वह प्रतिक्षण अपने में सिमटने को तैयार रहता है।
28.
उसके नेता अपने मूल तत्वों पर फिर से लौट आए हैं और वे हैं अपने प्रकृत रूप में हिंदुवादी तत्व, जिनसे वे भली भांति परिचित हैं और जो उन्हें बहुत सुहाते है।
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इन कहानियों के अतिरिक्त शैलेश ने वृत्ति, प्यास, इब्बू मलंग, दो दुखों का एक सुख जैसी कहानियाँ भी लिखी हैं जिनमें दलित चरित्र अपने प्रकृत रूप में दीखते हैं।
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पर आपबीती कहने की यह परम्परा अपने प्रकृत रूप में तो वाचिक परम्परा में ही फूल-फल सकती थी, साहित्यिक परम्परा में भी इसकी आकर्षक परिणतियाँ धूर्ताख्यान या दशकुमारचरित जैसी कथाकृतियों में हम पाते हैं।