कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 का प्रख्यापन उस एकीकृत आवश्यकता आधारित सामाजिक बीमा योजना को समाविष्ट करता है जो बीमारी, मातृत्व, अस्थायी या स्थायी शारीरिक अपंगता, रोज़गार चोट के कारण मृत्यु के प्रणामस्वरूप मज़दूरी या अर्जन क्षमता की हानि जैसी आकस्मिकताओं में कामगारों के हितों को संरक्षित करता है।
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मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिपरिषद द्वारा लिये गये निर्णय के अनुसार इस नीति के प्रख्यापन के फलस्वरुप प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना को बल मिलेगा जिससे पूंजी निवेश में आशातीत वृद्धि होगी एवं मूल्य संवर्धन के फलस्वरुप उत्पादकों एवं प्रसंस्करणकर्ताओं की आय में वृद्धि होगी।
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कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 कर्मचारी राज्य बीमा अधिनियम, 1948 का प्रख्यापन उस एकीकृत आवश्यकता आधारित सामाजिक बीमा योजना को समाविष्ट करता है जो बीमारी, मातृत्व, अस्थायी या स्थायी शारीरिक अपंगता, रोज़गार चोट के कारण मृत्यु के प्रणामस्वरूप मज़दूरी या अर्जन क्षमता की हानि जैसी आकस्मिकताओं में कामगारों के हितों को संरक्षित करता है।
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--उ 0 प्र 0 नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 का प्रख्यापन स्वीकृत मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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--उ 0 प्र 0 नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 का प्रख्यापन स्वीकृत मंत्रिपरिषद ने उत्तर प्रदेश नगरपालिका (सदस्यों, पार्षदों, अध्यक्षों और महापौरों का निर्वाचन) (प्रथम संशोधन) नियमावली, 2013 के प्रख्यापन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।
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इस में लिखा गया था: ” कुमाऊं विश्वविद्यालय के अधीन सृजित महादेवी वर्मा सृजन पीठ में निदेशक के पद पर नियमित नियुक्ति / चयन के संबंध में नियमावली प्रख्यापित न होने के कारण पीठ में निदेशक के पद पर चयन के संबंध में नियमावली के प्रख्यापन होने तक निम्र मानकों / व्यवस्थानुसार निदेशक के पद पर चयन की कार्यवाही किए जाने का निर्णय लिया गया है … ।
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२२ (समुचित कारण बताये बिना गिरिप्तारी से बचाव) थे | बाद में स्वतंत्रता की बहाली के लिए अदालत जाने के अधिकार को भी स्थगित कर दिया गया | २-इसके तुरंत बाद संविधान में ३ ८ वा संशोधन किया गया जिसमे राष्ट्रपति द्वारा आपात की उद्घोषणा और राष्ट्रपति या राज्यपाल द्वारा अध्यादेश के प्रख्यापन को न्यायपालिका के पुनरावलोकन के अधिकार से बाहर कर दिया गया | इस प्रक्रिया द्वारा संविधान के अनु.
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एक विशेष धर्म का पालन करने और अन्य धर्मों की सार्वजनिक पूजा करने पर निषेध की आवश्यकता, मानव अधिकार के सार्वलौकिक प्रख्यापन के अनुच्छेद 18 और असैनिक एंव राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के अनुच्छेद 18, जिसके मालदीव हालही में सहायक बने हैं,[31] के विपरीत है और इसीलिए अनुबंध का पालन करते हुए मालदीव आरक्षण में इस दावे के साथ संबोधित किया कि, “अनुबंध के अनुच्छेद 18 में दिए गए सिद्धान्त मालदीव गणराज्य के संविधान पर पक्षपात किये बिना अनुप्रयोग होंगे.”[32]
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एक विशेष धर्म का पालन करने और अन्य धर्मों की सार्वजनिक पूजा करने पर निषेध की आवश्यकता, मानव अधिकार के सार्वलौकिक प्रख्यापन के अनुच्छेद 18 और असैनिक एंव राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के अनुच्छेद 18, जिसके मालदीव हालही में सहायक बने हैं, के विपरीत है और इसीलिए अनुबंध का पालन करते हुए मालदीव आरक्षण में इस दावे के साथ संबोधित किया कि, “अनुबंध के अनुच्छेद 18 में दिए गए सिद्धान्त मालदीव गणराज्य के संविधान पर पक्षपात किये बिना अनुप्रयोग होंगे.”
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एक विशेष धर्म का पालन करने और अन्य धर्मों की सार्वजनिक पूजा करने पर निषेध की आवश्यकता, मानव अधिकार के सार्वलौकिक प्रख्यापन के अनुच्छेद 18 और असैनिक एंव राजनीतिक अधिकारों के अंतर्राष्ट्रीय अनुबंध के अनुच्छेद 18, जिसके मालदीव हालही में सहायक बने हैं,[31] के विपरीत है और इसीलिए अनुबंध का पालन करते हुए मालदीव आरक्षण में इस दावे के साथ संबोधित किया कि, “अनुबंध के अनुच्छेद 18 में दिए गए सिद्धान्त मालदीव गणराज्य के संविधान पर पक्षपात किये बिना अनुप्रयोग होंगे.”