डिजाइनर, जीवंत रंग और अमूर्त आकृतियों के अपने प्यार के लिए जाना जाता है, प्रेरणा ली Baroque से, एक कलात्मक देर से 16 वीं शताब्दी से 18 वीं सदी predominating गतिशील आंदोलन द्वारा विशेषता यूरोप, प्रकट भावना और आत्म विश्वास लफ्फाजी से प्रचलित शैली.
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समय व्यतीत होने के साथ ही साथ इस्लाम के आरंभिक काल की इमारतों का मुख्य रूप तो मिट गया क्योंकि इसके निर्माणकर्ता जो ईरानी, मिस्री और रोम के दक्ष वास्तुकार हुआ करते थे, उनकी यह परंपरा थी कि वे इमारतों के निर्माण में तत्कालीन प्रचलित शैली का प्रयोग किया करते थे किंतु दूसरी हिजरी शताब्दी के आरंभ से, इस्लामी कला में एक निर्धारित और स्पष्ट परंपरा अस्तित्व में आई और यह परिपूर्णता की ओर बढ़ी।
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किन्तु् पंडवानी के इन दो शाखाओं पर अपनी विस्तृत राय देते हुए इस ग्रंथ के शोध निर्देशक डॉ. विनय कुमार पाठक नें भूमिका में स्पष्ट किया है-‘ छत्तीसगढ़ी में पंडवानी गायन की परंपरा अत्यंत प्राचीन है लेकिन इसकी उत्पत्ति से लेकर उसकी प्रचलित शैली के संदर्भ में अधिकांश लोगों में भ्रम धारणा घर कर गई है, उसका एक प्रमुख कारण मध्य प्रदेश आदिवासी लोक कला परिषद से प्रकाशित महंगा मोनोग्राफ और इसी तरह से शोध से दूर अन्य आलेख हैं।