ये उत्तेजनाएं सत्य की एक दूसरे को आत्म-अस्वीकृति और विधि व्यवस्था के प्रति असहिष्णुता के रूप में प्रबल रूप से नकारने की प्रतिरूपी हैं तथा न्यायिक प्रणाली के कार्यक्रमों के बाहर प्रतिशोध तलाशने की चाह (जैसे कि, चौकसी में व्यस्त रखना) तथा आमतौर पर दूसरों को हानि पहुंचाने की हमेशा इच्छा रखना.
22.
ज्ञात आदिमता का सजीव संग्रहालय बरगद की जड़ों सी स्मृतियां भविष्य की आद्गांकाओं से घिरे स्वप्न अजनबी दिनों में बाँझ होती उम्मीदें जादूई यथार्थ के तहखाने सा जीवन झिझकता रहा हस्तक्षेप से तंत्र-नियंताओं का अधिसंखयक वही आदिजन का भूगोल समय के पाटे पर निढाल आसमान के शून्य में डूबी सूखी आँखें तलाशती अपना कोई प्रतिरूपी नक्षत्र सिसकता-चीत्कारता रोम-रोम असहाय सदमे में अधनंगा-भूखा द्गारीर बेहोद्गा दिमाग में घुस आती है-अनामन्त्रित पाद्गाविकता ग्लोबल विकास के पैकेज पर प्रहार करने का स्वांग करते प्रकृति-पुत्रों की आवाज निकालते नेपथ्य में सुरक्षित द्गौतानों का समूह
23.
अग्निबीज तुमने बोए थे तब के वे साथी क्या से क्या हो गए कर दिया क्या से क्या तो, देख-देख प्रतिरूपी छवियाँ पहले खीझे फिर रोए थे अग्निबीज तुमने बोए थे ऋषि की दृष्टि मिली थी सचमुच भारतीय आत्मा थे तुम तो लाभ-लोभ की हीन भावना पास न फटकी अपनों की यह ओछी नीयत प्रतिपल ही काँटों-सी खटकी स्वेच्छावश तुम शरशैया पर लेट गए थे लेकिन उन पतले होठों पर मुस्कानों की आभा भी तो कभी-कभी खेला करती थी! यही फूल की अभिलाषा थी निश्चय¸ तुम तो इस 'जन-युग' के बोधिसत्व थे; पारमिता में त्याग तत्व थे