जिंदगी के एक मोड़ पर किसी खास (आज वह एक प्रतिष्ठित महिला पत्रिका की संपादक हैं) से मुलाकात हुई और उसने मुझसे ही मेरा परिचय कराया, तो मेरे मन के तार झंकृत हो उठे।
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उसकी वो नन्हीं परी अब इसी समाज की एक प्रतिष्ठित महिला थी, एक खूब प्यार करने वाले पति की आदर्श पत्नि थी और दो फूल से बेटे-बेटी की प्यारी-सी मम्मी थी।... थी?... या है? एक दिन छम से अचानक आयी वो अपने पंख फैलाये और उसे दोस्ती की बाँहों में उठाये ले गयी चाँद-तारों के पार।