| 21. | प्राचीन कवियों ने भी प्रत्यभिज्ञान के रसात्मक स्वरूप का बराबर विधान किया
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| 22. | कहने की आवश्यकता नहीं कि प्रत्यभिज्ञान की रसात्मक दशा में मनुष्य मन
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| 23. | एक दूसरे प्रकार के प्रत्यभिज्ञान का रसात्मक प्रभाव प्रदर्शित करने के लिए
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| 24. | यह तो हुई आप्त शब्द या इतिहास पर आश्रित स्मृतिरूपी या प्रत्यभिज्ञान
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| 25. | स्मृति के समान प्रत्यभिज्ञान में भी रससंचार की बड़ी गहरी शक्ति होती
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| 26. | प्रत्यभिज्ञान का थोड़ा-सा अंश प्रत्यक्ष होता है और बहुत-सा अंश उसी के
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| 27. | यह स्मृति स्वरूपा कल्पना कभी कभी प्रत्यभिज्ञान का भी रूप धारण करती
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| 28. | अतीत की कल्पना स्मृति की सी सजीवता प्राप्त करके अवसर पाकर प्रत्यभिज्ञान
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| 29. | अब तक हमने रसात्मक स्मरण और रसात्मक प्रत्यभिज्ञान को विशुद्ध रूप में
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| 30. | अब हम उस प्रत्यक्ष मिश्रित स्मरण को लेते हैं जिसे प्रत्यभिज्ञान कहते
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