रोमन लेखक ओविद ने अपनी महान कृति मेटामोरफोसेज के एक हिस्से में आवेगविहीन तर्क देते हुए कहा है कि और अधिक बेहतरी के लिए मानवता में बदलाव या कायाकल्प और अधिक सुव्यवस्थित प्रजाति होने के लिए हमे ज्यादा से ज्यादा मानवीय प्रवृत्तियों की दिशा में प्रयासरत होना चाहिए.
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सरकार के सामने आज अगर सिविल सोसायटी मुसीबत बनकर खड़ी है तो उसे बेकार की बयानबाजी, बहानेबाजी और दायें-बायें के रास्ते चुनने की बजाय जन भावनाओं की कद्र करते हुए संविधान की चाहरदीवारी को पार न करते हुये एक सशक्त और सख्त लोकपाल कानून बनाने के लिए प्रयासरत होना चाहिए।