अगर हम तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के साथ भाग नहीं सकते तो अपने लिए जीवन के साधन नहीं जुटा पाऎंगे! महंगाई की मार, ट्रेफिक की मार,बॉस की मार और नए नए सुख साधनों की बाढ से उमडे बाज़ार की मार! इच्छा,लोभ,लाभ,मोह स्वार्थ के लफडों की भरमार! अपने जीवन को जैसे-तैसे मैनेज करता व्यक्ति अपनी ऊर्जा का एक एक कतरा प्रयोजनवाद के दर्शन से खर्च करना चाह्ता है!
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अगर हम तेज़ रफ्तार ज़िंदगी के साथ भाग नहीं सकते तो अपने लिए जीवन के साधन नहीं जुटा पाऎंगे! महंगाई की मार, ट्रेफिक की मार, बॉस की मार और नए नए सुख साधनों की बाढ से उमडे बाज़ार की मार! इच्छा, लोभ, लाभ, मोह स्वार्थ के लफडों की भरमार! अपने जीवन को जैसे-तैसे मैनेज करता व्यक्ति अपनी ऊर्जा का एक एक कतरा प्रयोजनवाद के दर्शन से खर्च करना चाह्ता है!