इस प्रकार ‘ हम ' जीव के साथ तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति हेतु, ये पारिवारिक माता-पिता आदि वास्तविक दिव्य माता-पिता रूप ब्रह्म-शक्ति से सम्बन्ध कटवा कर अपने-अपने में ये पारिवारिक हमार-हमार कहने वाले सांसारिक जन भी प्रसूति-गृह में ही इतना बड़ा धोखा, छल, पाखण्ड एवं भ्रम-जाल को ‘ हम ' जीव पर डालकर फँसा देते हैं, जिससे ‘ हम ' जीव अपने वास्तविक माता-पिता से वंचित होकर, इन पारिवारिक शारीरिक माता-पिता में ही फँसकर रह जाता है।
22.
उसी ध्यान मुद्रा में ही शिशु की पैदाइश होती है, जिसके कारण आँखें बन्द रहती हैं और नार-पुरइन जब कटवा दी जाती है तब आत्म-ज्योति से सम्बन्ध कट जाता है, तब शिशु को परेशानी न हो या कष्ट न हो अथवा जीव उस ज्योति की खोज में शरीर छोड़कर न चला जाय, इसीलिए प्रसूति-गृह में शिशु की उत्पत्ति से पूर्व ही ‘ दीप ' जला दिया जाता है और ऐसी व्यवस्था कर दी जाती है कि ‘ दीप ' बुझने न पाये।
23.
भाई, लड़कियां तो नौ बजे या उसके बाद आएँगी न! तब तक वह परिसर में कुछ इस बेचैनी से चहलकदमी करता कि मानो, ये कई लड़कियों के पिता हैं और बेटे के लिए मरे जा रहे हैं और इनकी पत्नी फिर से प्रसूति-गृह में प्रसव वेदना से तड़प रही हैं और भाई साहब खुद अपनी किस्मत की प्रसव-पीड़ा से तड़प रहे हैं कि कहीं इस बार फिर बेटी न हो जाए! कमीने! कुछ लोग सोचते हैं कि तड़पने से काम बन जाता है।