इस सरलता में मास्ति पिरोते हैं भाव-भावना के मनके और फिर निर्मित होती है अत्यन्त प्राणवंत, अर्थयुक्त रचना प्रक्रिया जिससे मास्ति पाठक को हर क्षण विभोर करते चलते हैं ।
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इस सरलता में मास्ति पिरोते हैं भाव-भावना के मनके और फिर निर्मित होती है अत्यन्त प्राणवंत, अर्थयुक्त रचना प्रक्रिया जिससे मास्ति पाठक को हर क्षण विभोर करते चलते हैं ।
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यह तस्वीर बनने पर अमिट हो जाती है (कुछ वाचनों में, यह सीता के शयनकक्ष में प्राणवंत हो उठती है) और राम का ध्यान अपनी ओर खींच लेती है।
24.
अपने समाधान पाने के लिए सुगम से सुगमतर रास्तों की ओर उन्मुख होते हैं, पर हमारी आस्था दुर्गम के पक्ष में होनी चाहिए, क्योंकि प्राणवंत चीज़ें इसी तर्ज पर चलती हैं।
25.
इस कहे जा चुके को जब कोई इस तरह कहे किवह पहली बार कहे जैसा लगे और उतना ही प्राणवंत तो लगता हैहॉं हॉं यहीं कहीं हमारे मन की बात है जो अब तक अदीठ थी।
26.
(खैर, 'लगे पचासी झटके...' का जमाना नहीं था वह!) प्रस्तुत मेलडी सरपट भागती मधुर धुन, कर्णप्रिय संगीत, हेमंत के शालीन, श्रृंगारपूर्ण गायन और मुर्दों को जगा देने वाले प्राणवंत तबले के कारण.... स्मरणीय और कलजयी बन गई है!
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इस कहे जा चुके को जब कोई इस तरह कहे कि वह पहली बार कहे जैसा लगे और उतना ही प्राणवंत तो लगता है हॉं हॉं यहीं कहीं हमारे मन की बात है जो अब तक अदीठ थी।
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(खैर, 'लगे पचासी झटके...' का जमाना नहीं था वह!) प्रस्तुत मेलडी सरपट भागती मधुर धुन, कर्णप्रिय संगीत, हेमंत के शालीन, श्रृंगारपूर्ण गायन और मुर्दों को जगा देने वाले प्राणवंत तबले के कारण.... स्मरणीय और कलजयी बन गई है!
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इस कहे जा चुके को जब कोई इस तरह कहे कि वह पहली बार कहे जैसा लगे और उतना ही प्राणवंत तो लगता है हॉं हॉं यहीं कहीं हमारे मन की बात है जो अब तक अदीठ थी.
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एक तरफ छत्ती्सगढी की समृद्ध वाचिक परम्परा है, वहीं दूसरी ओर हलबी, भतरी, खडिया, तूती, मुंडा, बिरहोड, पर्जी, दोर्ली, दाडामी माडिया, मुरिया, अबुझमाडिया आदि आदिवासी बोलियों की प्राणवंत धडकन है ।