| 21. | होने से वेद का प्रामाण्य है।
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| 22. | ज्ञान का प्रामाण्य स्वत: ग्राह्य है अथवा परत: ग्राह्य है।
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| 23. | अत: ज्ञानगत प्रामाण्य स्वत: उत्पन्न और स्वत: गृहीत होता है।
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| 24. | अत: ज्ञानगत प्रामाण्य स्वत: उत्पन्न और स्वत: गृहीत होता है।
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| 25. | ज्ञान का प्रामाण्य स्वत: ग्राह्य है अथवा परत: ग्राह्य है।
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| 26. | मीमांसा के अनुसार ज्ञान का प्रामाण्य स्वत: और अप्रमाण्य परत:
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| 27. | प्रमाण में स्वत: प्रामाण्य ये मानते हैं।
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| 28. | होने से वेद का प्रामाण्य है.
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| 29. | क्योंकि सर्वत्र प्रमाण में प्रामाण्य का संशय नहीं होता है।
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| 30. | “तद्वचनादाम्नायस्य प्रामाण्यम्” अर्थात् तद्वचन होने से वेद का प्रामाण्य है.
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