जब कांग्रेस का राजकुमार मीडिया मैनेजमेंट के साथ उत्तर प्रदेश के बांदा में बलात्कार पीडि़ता के घर जाकर उसे न्याय दिलाने की नौटंकी कर रहा था उसी समय कांग्रेस की यूपीए सरकार के फरमाबरदार देश के खजाने के साथ सामूहिक बलात्कार में जुटे हुए थे।
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(और) ऐ हमारे पालने वाले तू हमें अपना फरमाबरदार बन्दा बना हमारी औलाद से एक गिरोह (पैदा कर) जो तेरा फरमाबरदार हो, और हमको हमारे हज की जगहों दिखा दे और हमारी तौबा क़ुबूल कर, बेशक तू ही बड़ा तौबा कु़बूल करने वाला मेहरबान है (128)
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(और) ऐ हमारे पालने वाले तू हमें अपना फरमाबरदार बन्दा बना हमारी औलाद से एक गिरोह (पैदा कर) जो तेरा फरमाबरदार हो, और हमको हमारे हज की जगहों दिखा दे और हमारी तौबा क़ुबूल कर, बेशक तू ही बड़ा तौबा कु़बूल करने वाला मेहरबान है (128)
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असफल हो जाने पर पहले विश्वयुद्ध के बाद की वार्साई संधि ने रूस की सीमा के बराबर बराबर में, उत्तर में बाल्टिक सागर से लेकर दक्षिण में काले सागर तक फरमाबरदार राज्यों के ÷सैनिटरी कार्डन' का निर्माण किया ताकि ÷रूस की छूत की बीमारी' पश्चिम में न फैलने पाये।
25.
कह दीजिए कि मेरी नमाज, मेरी कुरबानी, मेरा जीना और मेरा मरना सब कुछ संसार के मालिक के लिए है उसका कोइ शरीक नहीं, इस बात का मुझे हुक्म दिया गया है और मैं (मुहम्मद स. अ. व.) अल्लाह के फरमाबरदारों में सबसे पहला फरमाबरदार (आज्ञाकारी) हूं।
26.
(तुम्हारे मसजिद में रोकने से क्या होता है क्योंकि सारी ज़मीन) खु़दा ही की है (क्या) पूरब (क्या) पच्छिम बस जहाँ कहीं क़िब्ले की तरफ रूख़ करो वही खु़दा का सामना है बेशक खु़दा बड़ी गुन्जाइश वाला और खू़ब वाक़िफ है (115) और यहूद कहने लगे कि खु़दा औलाद रखता है हालाँकि वह (इस बखेड़े से) पाक है बल्कि जो कुछ ज़मीन व आसमान में है सब उसी का है और सब उसकी के फरमाबरदार हैं (116)
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(तुम्हारे मसजिद में रोकने से क्या होता है क्योंकि सारी ज़मीन) खु़दा ही की है (क्या) पूरब (क्या) पच्छिम बस जहाँ कहीं क़िब्ले की तरफ रूख़ करो वही खु़दा का सामना है बेशक खु़दा बड़ी गुन्जाइश वाला और खू़ब वाक़िफ है (115) और यहूद कहने लगे कि खु़दा औलाद रखता है हालाँकि वह (इस बखेड़े से) पाक है बल्कि जो कुछ ज़मीन व आसमान में है सब उसी का है और सब उसकी के फरमाबरदार हैं (116)
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“ और (ऐ ईमानदारों) अहले किताब से मनाज़िरा न किया करो मगर उमदा और शाएस्ता अलफाज़ व उनवान से लेकिन उनमें से जिन लोगों ने तुम पर ज़ुल्म किया (उनके साथ रिआयत न करो) और साफ साफ कह दो कि जो किताब हम पर नाज़िल हुई और जो किताब तुम पर नाज़िल हुई है हम तो सब पर ईमान ला चुके और हमारा माबूद और तुम्हारा माबूद एक ही है और हम उसी के फरमाबरदार है ” (29: 46) ।