खाद्य सम्प्रभुता एवं जलवायु परिवर्तन के दौर में एकल (मोनोकल्चर) फसलों को खाद्य सुरक्षा व पर्यावरण के लिये खतरा मानते हुए बारहनाजा जैसी मिश्रित फसल पद्धति को आदर्श माना गया।
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इसलिए इन्हें मिलाकर मिश्रित फसल या अंतरवर्ती फसल पद्धति से उगाए जाने पर मिट्टी, मौसम, पोषण, सिंचन, कीड़े और रोग संबंधी जोखिम भी कम होने की संभावना रहती है।
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अंतरवर्ती फसल पद्धति में मौसम की असामान्यता व रोग कीड़ों से हानि तथा एक ही फसल की उपज के बाजार भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव की जोखिम दो फसलों के उत्पादन के कारण कम होने की संभावना रहती है।
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अंतरवर्ती फसल पद्धति में मौसम की असामान्यता व रोग कीड़ों से हानि तथा एक ही फसल की उपज के बाजार भाव में होने वाले उतार-चढ़ाव की जोखिम दो फसलों के उत्पादन के कारण कम होने की संभावना रहती है।
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अंतरवर्ती फसल पद्धति में मुख्य फसल की उपज उस अकेली फसल से कुछ कम हो जाती है, परंतु मुख्य व सहायक दोनों फसलों की उपज मुख्य फसल की अकेली उपज से सवा से डेढ़ गुना तक मिल जाती है।
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अंतरवर्ती फसल पद्धति में मुख्य फसल की उपज उस अकेली फसल से कुछ कम हो जाती है, परंतु मुख्य व सहायक दोनों फसलों की उपज मुख्य फसल की अकेली उपज से सवा से डेढ़ गुना तक मिल जाती है।
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उतेरा फसल पद्धति में उर्वरकों का उपयोग प्रदेश के कई जिलों जैसे सिवनी, डिण्डोरी, मण्डला, बालाघाट व जबलपुर के असिंचित क्षेत्रों के कुछ इलाकों में धान की खड़ी फसल में कटाई के 15-20 दिन पूर्व उतेरा फसल के रूप में तिवड़ा, बटरी, अलसी, मसूर व उर्द की बुवाई की जाती है।
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अन्तर्वर्तीय फसल पद्धति सोयाबीन के साथ अन्तर्वर्तीय फसलों के रूप में निम्नानुसार फसलों की खेती अवश्य करें 1. अरहर + सोयाबीन (2:4) 2. ज्वार + सोयाबीन (2:2) 3. मक्का + सोयाबीन (2:2) 4. तिल + सोयाबीन (2:2) अरहर एवं सोयाबीन में कतारों की दूरी 30 से.मी. रखें।
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वर्तमान कृषि परिदृश्य को देखते हुए मिट्टी की उर्वराशक्ति बनाए रखने, दलहनों की आपूर्ति, मुर्गीदाने, पशुधन के चारे की पूर्ति बनाए रखने तथा कृषकों की आर्थिक स्थिति सुधारने को ध्यान में रखते हुए सोयाबीन विकल्प के रूप में ज्वार + उड़द/मूूंग, मक्का/अरहर, मक्का + उड़द + मूंग की अन्तरवर्तीय फसल पद्धति को प्राथमिकता दिया जाना उपयुक्त होगा ।
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निम्न अंतरवर्तीय फसल पद्धति म. प्र. के लिए उपयुक्त है: 1. अरहर + मक्का का ज्वार 2:1 कतारों के अनुपात में (कतारों के बीच की दूरी 40 से.मी) 2. अरहर + मूंगफली या सोयाबीन 2:4 कतारों के अनुपात में 3. अरहर + उड़द या मूंग 1:2 कतारों के अनुपात में पौध संरक्षण (अ) रोग उकटा रोग: इस रोग का प्रकोप अधिक होता है।