लेकिन अगर आपको कीट-पतंगों या पिल्लों से डर लगता हो तो? लगभग हर कोई ही किसी न किसी चीज से डरता है, लेकिन कुछ विशेष मामलों में इन लोगों का डर इतना ज्यादा हो जाता है कि वह एक फ़ोबिया बन जाता है।
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पर कल एक बात पर मैनें ध्यान दिया कि मनोरोगों के बारे में एक ही बात बार-बार दोहराई जा रही थी कि फ़ोबिया हवाई यात्रा से होता है, लिफ़्ट से होता है, बच्चों को स्कूल जाने से होता है आदि लेकिन इसके निदान पर ज्यादा बात नहीं की गई।
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ज्ञानपीठ से ही छपे एक युवा लेखक हैं जिन पर कालिया जी और कुणाल को नाराज़ कर देने का फ़ोबिया इस कदर बैठा हुआ है कि दोनों में से किसी का भी नाम लेते ही पूछते हैं कि कहीं मैं फ़ोन पर उनकी बातें रिकॉर्ड तो नहीं कर रहा और फिर काट देते हैं.
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' जिस देश में गंगा बहती है' नाम की फ़िल्म में प्राण साहब डाकू बने थे और शायद उस डाकू के दिमाग में अपने भविष्य के बारे में जो फ़ोबिया बना हुआ था उसी के चलते पूरी फ़िल्म में अपनी गर्दन पर हाथ फ़ेरते रहते थे, गोया फ़ाँसी की रस्सी को अपनी गर्दन पर कसा जाता महसूस कर रहे हों।
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' जिस देश में गंगा बहती है ' नाम की फ़िल्म में प्राण साहब डाकू बने थे और शायद उस डाकू के दिमाग में अपने भविष्य के बारे में जो फ़ोबिया बना हुआ था उसी के चलते पूरी फ़िल्म में अपनी गर्दन पर हाथ फ़ेरते रहते थे, गोया फ़ाँसी की रस्सी को अपनी गर्दन पर कसा जाता महसूस कर रहे हों।
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आप किसीसे कहके देखिए कि ‘ यार मनोचिकित्सक के पास जा रहा हूं या वहां से आ रहा हूं ' या ‘ कई महीनों से डिप्रेशन है ' या ‘ यार, मुझे फ़लां चीज़ से फ़ोबिया है ' बस.... ऐसा आदमी जिसकी मामूली और जेनुइन बातों पर भी समाज का विरोध करने में टट्टी निकलती है, एकदम क्रांतिकारियों वाली मुद्रा में आ जाएगा कि ‘ बेट्टा! अब आया ऊंट पहाड़ के नीचे ' ।
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सदियों से अपनी कटी हुई ज़ुबान ले कर भी, महा-मुखर हो कर हर स्त्री को लालकिले से चिल्ला कर पूछना होगा इस परंपरा के वंशजों से-“ मर्दानगी की फ़ोबिया के शिकार कायरो! क्या तुम सब में इतनी हिम्मत, इतना बल कभी आएगा कि एक पूरी औरत का मुकाबला कर सको-उस के साथ रह सको या उसे साथ रख सको, हर जगह्, हर समय? ”-रवीन्द्र कुमार पाठक व्याख्याता, जी. एल. ए.क ॉलेज, डाल्टनगंज (झारखण्ड).