सजा के मुताबिक कल्लू मिस्त्री को फाँसी के तख्ते पर ले जाया गया किन्तु यह क्या फाँसी का फन्दा कल्लू मिस्त्री की गर्दन में ढीला पड़ गया कल्लू की गर्दन पतली और फंदा बड़ा अब क्या हो?
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जमाना हाईटेक हो चला है, कभी ऐसा भी समय हुआ करता था कि माँ-बाप की डाँट से बच्चे अच्छे बुरे की समझ से परिचित हो जाया करते थे, लेकिन आजकल तो हल्की सी डाँट मिलते ही रेल की पटरी या फिर फाँसी का फन्दा ही नज़र आता है।
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जमाना हाईटेक हो चला है, कभी ऐसा भी समय हुआ करता था कि माँ-बाप की डाँट से बच्चे अच्छे बुरे की समझ से परिचित हो जाया करते थे, लेकिन आजकल तो हल्की सी डाँट मिलते ही रेल की पटरी या फिर फाँसी का फन्दा ही नज़र आता है।
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भगतसिंह की बहादुरी और क़ुर्बानी के बारे में तो पूरा देश जानता है, लेकिन ज्यादातर पढ़े-लिखे लोग तक यह नहीं जानते कि सिर्फ़ 23 साल की उम्र में फाँसी का फन्दा चूमने वाला यह जाँबाज़ नौजवान एक महान, दूरन्देश विचारक था, जो सिर्फ अंग्रेज़ी हुकूमत और विदेशी पूँजीपतियों की लूट के नहीं बल्कि देशी पूँजीपतियों की हुकूमत और लूट के भी ख़िलाफ़ था।
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नयी क्रान्ति की राह चलने के लिए भगतसिंह के विचारों से, क्रान्तिकारी इतिहास की उस गौरवशाली विरासत से परिचित होना जरूरी है जिसे जन-जन तक पहुँचने से रोकने की हरचन्द कोशिश देशी सत्ताधारियों ने हमेशा से की है और यह सच है कि आज देश के अधिकांश युवा नहीं जानते कि 23 वर्ष की छोटी-सी उम्र में फाँसी का फन्दा चूमने वाला वह जांबाज नौजवान कितना ओजस्वी, प्रखर और दूरदर्शी विचारक था! हमें भगतसिंह और उनके साथियों के विचारों को भुला देने की साजिश के विरुध्द संघर्ष करना है।