शशिकला राय कथाकोलाज़ ः समय कई रंगों में कीचड़ से हो रही है जिस जा ज़मी फिसलनी मुश्किल हुई है वां से हर एक को राज चलनी-नज़ीर अकबराबादी समय स्वयं एक कथा है, जिसका पाठ हर भोक्ता के साथ बदल जाता है।
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जल्दबाजी से पहुँचना सरसरी नज़र मार कर छोड़ देना चौंका देना विषयांतर उत्साहपूर्वक भाग लेना झटके से हिलना जल्दबाजी से पहुँचना कूदान पटरी से उतर जाना मूल्य-वृधि सरसरी नज़र मार कर छोड़ देना जंप करना तुरंत कब्जा कर लेना फिसलनी पदोन्नति करना जंप लांधना अचानक छोड़ देना पर झपटना बिना टिकट यात्रा करना कूद / छलाँग झटके से हिलना पर झपट पड़ना बरमें से सूराख करना उपर उठना/बढ़ना अचानक होना तरक़्की करना चौंक पड़ना