इस बात को समझने के लिए हम फ्रांस की राज्य क्रांति का उदाहरण सामने रखकर विचार करें तो शायद ठीक से समाजवाद के विश्वव्यापी असर के बारे में सही ढ़ंग से अनुमान लगा सकें।
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“ विश्व इतिहास की झलक ” के पृष्ठ 505 में उल्लेख है-फ्रांस की राज्य क्रांति पर लिखने वाले थामस कार्लाइल नामक एक अंग्रेज लेखक ने जनता के हाल जो बयान किया है, वह एक निराली शैली है-“ श्रमजीवियों की हालत फिर खराब हो रही है.
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जाहिर है लाखों सुरक्षा कर्मियों और फौजों के संगीनों की सुरक्षा में दुबकी यह भारत सरकार का आगे अहिंसक अन्ना हजारे से नहीं वरन् हथियारों से लैस भुक्खड़ों के अन्ना हजारे से भेंट होगी जो अपने पैने जबड़े से इन माननीय लोगों के जबड़े फाड़ डालेगी, जैसा कि फ्रांस की राज्य क्रांति के समय हुआ था.
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उद्घाटन पश्चात संस्कृति एवं पुरातत्व के संचालक श्री नरेन्द्र शुक्ल द्वारा बाबू प्यारेलाल गुप्त जी की रचनाओं यथा सुखी कुटुम्ब और लवंगलता (उपन्यास), पुष्पहार (गल्पसंग्रह), फ्रांस की राज्य क्रांति और ग्रीस का इतिहास, बिलासपुर वैभव, रतनपुर के विष्णु यज्ञ का स्मारक ग्रंथ, एक दिन (प्रहसन), साहित्य वाचस्पति पं. लोचनप्रसादजी पाण्डेय की प्रामाणिक जीवनी एवं ‘ प्राचीन छत्तीसगढ़ ' नामक पुस्तक के बारे में उल्लेख किया गया।