अन्ना हजारे की एक हुँकार पर आबालवृद्ध जनों का एकसूत्र में बँध जाना सिद्ध करता है कि देश की समस्त जनता देश से भ्रष्टाचार का सफाया चाहती है ।
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अन्ना हजारे की एक हुँकार पर आबालवृद्ध जनों का एकसूत्र में बँध जाना सिद्ध करता है कि देश की समस्त जनता देश से भ्रष्टाचार का सफाया चाहती है ।
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मेरी कविते! दुकानों में सजी वासना, अनकी गली चली मत जाना संभव है बिक जाना तेरे इस नीले आकाश का, संभव है बँध जाना तेरे रागों के मधुमास का!
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सांसद सांसद मौसेरे भाई अन्ना हजारे की एक हुँकार पर आबालवृद्ध जनों का एकसूत्र में बँध जाना सिद्ध करता है कि * देश की समस्त जनता देश से भ्रष्टाचार का सफाया चाहती है * ।
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विवाह से इतना पहले बँध जाना ठीक है या नहीं, इस बात को अच्छी तरह सोच लेने के लिए सुचरिता से उन्होंने अनुरोध किया, फिर भी सुचरिता ने प्रस्ताव के बारे में कोई आपत्ति नहीं की।
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तोल रहे हैं झलर मलर तारों की आभा-ये अपनी मोती माला से ;मेरी कविते! दुकानों में सजी वासना, अनकी गली चली मत जानासंभव है बिक जाना तेरेइस नीले आकाश का,संभव है बँध जाना तेरेरागों के मधुमास का!
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बडे टैबलेट्स, बीमारी में दस दफे पानी से निगलने की कोशिश करना और नौ दफे उगल कर कहीं ज़मीन में गिरा देना, रोते रोते हिचकियाँ बँध जाना और दसवें दफे बीमारी के बावज़ूद डाँट सुनकर आँसू, थूक से चेहरा सना, अंतत टैबलेट निगलना ।
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वसन्त के वर्णन में फूलों-कोपलों का ‘ स्पष्ट और स्फुट ब्यौरा ' देने चलते ही एक प्रदेश अथवा क्षेत्र के साथ बँध जाना पड़ता, और यही बात गन्धों की चर्चा से होती ; पर वसन्त को यदि केवल धूप की स्निग्ध गरमाई के आधार पर ही अनुभूति-प्रत्यक्ष किया जा सके तो प्रादेशिक सीमा-रेखाएँ क्यों खींची जाएँ?
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उनका कलकत्ता में पैदा होना, पिता की मृत्यु, कोलिज में कानून पढ़ना, ब्रह्म समाज में शामिल होना और मन्दिर जाने या मूर्ति पूजा में विश्वास न करना, तर्क की बुनियाद पर आध्यात्मिकता पर प्रश्न पूछना और जानने की कोशिश करना कि भगवान है या नहीं, और फ़िर काली मन्दिर में परमहँस से मुलाकात और धीरे धीरे परमहँस के साथ बँध जाना और सन्यास लेने का निर्णय, उनकी सोच में धीरे धीरे बदलाव, योग और ध्यान से आध्यात्मिक अनुभव, सब बातें किताब में बहुत खूबी से लिखी गयी हैं.
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उनका कलकत्ता में पैदा होना, पिता की मृत्यु, कोलिज में कानून पढ़ना, ब्रह्म समाज में शामिल होना और मन्दिर जाने या मूर्ति पूजा में विश्वास न करना, तर्क की बुनियाद पर आध्यात्मिकता पर प्रश्न पूछना और जानने की कोशिश करना कि भगवान है या नहीं, और फ़िर काली मन्दिर में परमहँस से मुलाकात और धीरे धीरे परमहँस के साथ बँध जाना और सन्यास लेने का निर्णय, उनकी सोच में धीरे धीरे बदलाव, योग और ध्यान से आध्यात्मिक अनुभव, सब बातें किताब में बहुत खूबी से लिखी गयी हैं.