इसी कारण से नियोजिति को वह एक बंध-पत्र और अक्सर ही नियोजिति के संरक्षक की गारंटी द्वारा एक, दो या तीन, या उस से अधिक वर्षों के लिए बांध कर रखता है।
22.
इन उत्तरों से ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी व्यक्ति को नियोजन देने के समय किया गया बंध-पत्र और गारंटी एक पवित्र बंधन है जिस की पालना प्रत्येक नियोजिति को करनी चाहिए।
23.
इस प्रकार नियोजन आरंभ के समय निष्पादित बंध-पत्र और गारंटी का अनुबंध भी तभी लागू कराया जा सकता है जब कि वह कंट्रेक्ट कानून के अनुरूप खरा उतरे, कानून के अनुसार उसे कतिपय स्थितियों में भंग भी किया जा सकता है।
24.
यदि कोई नियोजिति इस बंध-पत्र में निश्चित की गई अवधि के पूर्व अपना नियोजन त्याग कर उस बंध-पत्र को भंग करने की इच्छा रखता है, तो उसे ऐसा करने के पूर्व जाँच लेना चाहिए कि क्या बंध-पत्र कानूनी रूप से एक कंट्रेक्ट है?
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यदि कोई नियोजिति इस बंध-पत्र में निश्चित की गई अवधि के पूर्व अपना नियोजन त्याग कर उस बंध-पत्र को भंग करने की इच्छा रखता है, तो उसे ऐसा करने के पूर्व जाँच लेना चाहिए कि क्या बंध-पत्र कानूनी रूप से एक कंट्रेक्ट है?
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यदि कोई नियोजिति इस बंध-पत्र में निश्चित की गई अवधि के पूर्व अपना नियोजन त्याग कर उस बंध-पत्र को भंग करने की इच्छा रखता है, तो उसे ऐसा करने के पूर्व जाँच लेना चाहिए कि क्या बंध-पत्र कानूनी रूप से एक कंट्रेक्ट है?
27.
न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किए गए प्रलेखों के आधार पर दिल्ली उच्च-न्यायालय ने यह माना कि युवनीत से सेवा बंध-पत्र निष्पादित कराने के लिए अनुचित दबाव का प्रयोग किया हो सकता है, जिसे वह अदालत में सबूत पेश कर साबित कर सकता है।
28.
ने ऐसे ही बंध-पत्र और गारंटी के आधार पर साढ़े तीन लाख रुपयों और उस पर वसूली तक 6% ब्याज व अदालती खर्चे के लिए एक दावा युवनीत सिंह एवं अन्य के विरुद्ध दिल्ली जिला जज के समक्ष प्रस्तुत किया था जिस का संक्षिप्त विचारण किया जाना था।