कई म्युचुअल फंडों को बिना बिक्री मूल्य (sales charge) चुकाए ख़रीदा जा सकता है.ये नो-लोड (no-load)फंड कहलाते हैं.ख़ुद फंड कम्पनी से उपलब्ध होने के साथ ही, दलाल के द्वारा नो लोड फंड को एक सपाट विनिमय शुल्क या शून्य शुल्क के लिए कुछ बट्टे पर बेचा जा सकता है.
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या जैसे कभी कभी किसी की अच्छी भली तस्वीर को सिल बट्टे पर पिसी हुई अमरूद की चटनी बना कर पूछा जाता है, पईचान कोन? पर बचपन में एक दफ़ा दोनों पैर के अँगूठों पर इसी चक्कर में सिल गिरा बैठे थे सो ये आइडिया तत्काल प्रभाव से ड्रॉप कर दिया।
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या जैसे कभी कभी किसी की अच्छी भली तस्वीर को सिल बट्टे पर पिसी हुई अमरूद की चटनी बना कर पूछा जाता है, पईचान कोन? पर बचपन में एक दफ़ा दोनों पैर के अँगूठों पर इसी चक्कर में सिल गिरा बैठे थे सो ये आइडिया तत्काल प्रभाव से ड्रॉप कर दिया।
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उस दिन वे बिल्कुल अलग रंग में थे, पंडित जी ने, जो वैसे तो स्कूल में सहायक थे पर हमारे घर के सदस्य की तरह थे, पीछे वाले आंगन मेें सिल बट्टे पर अंगूर और बादाम घोंटकर शानदार ठंडाई तैयार की थी और अम्मा ने गरमागरम गूझों और समोसों का नाश्ता बनाया था।
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कभी कभार बाबूजी जी या अब्बू अपने लाड़ले की पढ़ाई देखने आ जाते तो घर की कोई एक महिला हल्दी प्याज लेकर सिल बट्टे पर बैठ जाती क्योंकि मालिक जब पढ़ाई चेक करने का एलान करते तो घर में पता चल जाता था की निरीक्षण के बाद मरहम की जरुरत पड़ेगी, ऊपर से अम्मा सोचतीं की बच्चे की पसंद का कुछ बनाया जाय।
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|जब छोटे थे छोटे शहरों में रहते थे तो कुए से पानी भरना होता था जितना पानी लगता उतना ही खींचते और बड़ी मितव्ययिता से खर्चते थे |राख से सूखे बर्तन मांजते ताकि पानी ज्यादा न लगे |सिल बट्टे पर उअतनी चटनी पिसते एक बार में सारा परिवार खा ले |अब कटोरे भर भर कर चटनी पिसते है मिक्सर में एक दिन खाई एक हफ्ते फ्रिज में रखकर फेंक दी | बहुत अच्छी लगी पोस्ट |
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|जब छोटे थे छोटे शहरों में रहते थे तो कुए से पानी भरना होता था जितना पानी लगता उतना ही खींचते और बड़ी मितव्ययिता से खर्चते थे |राख से सूखे बर्तन मांजते ताकि पानी ज्यादा न लगे |सिल बट्टे पर उअतनी चटनी पिसते एक बार में सारा परिवार खा ले |अब कटोरे भर भर कर चटनी पिसते है मिक्सर में एक दिन खाई एक हफ्ते फ्रिज में रखकर फेंक दी | बहुत अच्छी लगी पोस्ट |