सत्तर के दशक के मध्य सुप्रीम कोर्ट ने 1975 में राजनैतिक इमरजेन्सी के दौरान बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के निलम्बन को उचित ठहराया, जिसके कारण जनता में सुप्रीम कोर्ट की काफी आलोचना हुई एवं बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए माफी भी माँगी।
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सत्तर के दशक के मध्य सुप्रीम कोर्ट ने 1975 में राजनैतिक इमरजेन्सी के दौरान बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिकाओं के निलम्बन को उचित ठहराया, जिसके कारण जनता में सुप्रीम कोर्ट की काफी आलोचना हुई एवं बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए माफी भी माँगी।
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हंगरी बनाम भारत संघ (क्रि. ला. रि. १ ९ ८ ४ सुको 237) में कहा है कि ऐसे तथ्य जो रिकॉर्ड पर हों उन्हें तोड़मोड़कर न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायालय को गुमराह करके बन्दी प्रत्यक्षीकरण याचिका की जानबूझकर स्वैच्छा से अवज्ञा की गयी है।
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किन्तु हमें भय है कि यह मामले का अन्त नहीं हो सकता इस बात के निर्धारण के लिए कि क्या याची को अवैध बन्दी बनाये जाने पर उसके अनुच्छेद 21 में मूल अधिकार के उल्लंघन के लिए रिट याचिका बन्दी प्रत्यक्षीकरण में आपराधिक या सिविल दायित्व जो कि सामान्य कानून से तय किया जा सकता है के अतिरिक्त सार्वजनिक कानून के अन्तर्गत क्षतिपूर्ति का पात्र है।
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अन्ततोगत्वा सन् 2008 में लखदर बूमीडीन बनाम जार्ज बुश नं 0 553 यू 0एस 0 2008 मुकदमे में संयुक्त राज्य अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अन्तर्राष्ट्रीय विरोध के फलस्वरूप, ग्वान्टानामो एवं दूसरे स्थान की जेलों में कैदियों पर जो अत्याचार हो रहा था, एवं जिन्हें अकारण बिना मुकदमा चलाये छः साल जेलों में बन्द किया जा रहा था, यह निर्णय दिया कि ‘शत्रु लड़ाकू ' व्यक्तियों को बन्दी प्रत्यक्षीकरण की याचिका को दाखिल करने का अधिकार प्राप्त है।