| 21. | दशा दिशो बन्ध बन्ध हूं फट् स्वाहा।।
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| 22. | नामक एक पुराने बन्ध का प्रयोग करता है, या
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| 23. | अश्विनी मुद्रा यह मूल बन्ध की प्रारम्भिक क्रिया है।
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| 24. | जन्म लिया है तो समाज के बन्ध भी रहेंगे।
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| 25. | जहाँ अब भी चुनरिया उंगलियों का बन्ध होती है
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| 26. | तोड़ता बन्ध प्रतिसन्ध धरा हो स्फीत वक्ष
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| 27. | बन्ध का मूल निमित्त अविवेक है ।
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| 28. | इन्हें योग, बन्ध और विभूति कहते हैं।
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| 29. | विभूति और बन्ध की समता को योग कहते हैं।
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| 30. | वे स्वयं कहाँ बन्धनों में बन्ध सकें है?
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