ब्रज की पौराणिक काल से चली आ रही ' चौरासी कोस परिक्रमा' का ही भाग है भरतपुर, जहाँ की अधिकांश भूमि समतल मैदानी है, पर चार प्रमुख नदियों-रूपारेल, बाणगंगा, गंभीरी और पार्वती के कारण इसका कुछ हिस्सा दलदली/कछारी भी है, और घना के विकास में इन बरसाती जल स्रोतों का बड़ा हाथ है।
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पेयजल के सचल टैंकरों से जलापूर्ति की व्यवस्था है तो मनरेगा जैसी योजनाओं की मार्फत कार्य के अवसर भी उपलब्ध कराये जा रहे है और मनरेगा के श्रम का उपयोग तालाबों की खुदाई, उनका सुदृढ़ीकरण तथा बरसाती जल को रोकने के लिए मेंड़ व बॉध बनाने में भी किया जा रहा है।