बहिःस्रावी अग्न्याशय की जनक कोषिकाओं में भिन्नीकरण करने वाले महत्वपूर्ण योगिक हैं फ़ोलिस्टेनिन, फ़िब्रोब्लास्ट विकास कारक व नॉच प्रापक प्रणाली।
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अग्न्याशय की कोशिकाओं का भिन्नीकरण दो अलग पथों से होता है, ये अग्न्याशय की दोहरे कार्यों-अंतःस्रावी व बहिःस्रावी के अनुरूप है।
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अग्न्याशय की कोशिकाओं का भिन्नीकरण दो अलग पथों से होता है, ये अग्न्याशय की दोहरे कार्यों-अंतःस्रावी व बहिःस्रावी के अनुरूप है।
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अग्न्याशय की कोशिकाओं का भिन्नीकरण दो अलग पथों से होता है, ये अग्न्याशय की दोहरे कार्यों-अंतःस्रावी व बहिःस्रावी के अनुरूप है।
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पाचक किण्वकों में ट्रिप्सिन, किमोट्रिप्सिन, अग्न्याशयी लाइपेस व अग्न्याशयी एमिलेस शामिल हैं और इनका उत्पादन और रिसाव बहिःस्रावी अग्न्याशय की गुच्छिक कोशिकाओं द्वारा होता है।
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पाचक किण्वकों में ट्रिप्सिन, किमोट्रिप्सिन, अग्न्याशयी लाइपेस व अग्न्याशयी एमिलेस शामिल हैं और इनका उत्पादन और रिसाव बहिःस्रावी अग्न्याशय की गुच्छिक कोशिकाओं द्वारा होता है।
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पाचक किण्वकों में ट्रिप्सिन, किमोट्रिप्सिन, अग्न्याशयी लाइपेस व अग्न्याशयी एमिलेस शामिल हैं और इनका उत्पादन और रिसाव बहिःस्रावी अग्न्याशय की गुच्छिक कोशिका ओं द्वारा होता है।
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ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है, और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं।
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ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है, और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं।
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ये इंसुलिन, ग्लुकागोन, व सोमाटोस्टाटिन जैसे कई ज़रूरी हार्मोन बनाने वाली अंतःस्रावी ग्रंथि है, और साथ ही यह अग्न्याशयी रस निकालने वाली एक बहिःस्रावी ग्रंथि भी है, इस रस में पाचक किण्वक होते हैं जो लघ्वांत्र में जाते हैं।