सत्ता की राजनीति में बहुत कुछ ऐसा देखना पड़ता है जो बहुत ही भद्दा होता है, लेकिन गत रात्रि जो कुछ हुआ उसे देखते हुए मुझे संसद का एक विद्यार्थी और संसदीय लोकतंत्र का इतिहासकार होने के नाते यह कहना पड़ेगा कि यह हमारे लोकतंत्र पर लगा एक बदनुमा धब्बा है।