इसका बहुवर्षायु वृक्ष होता है, पत्र त्रिपत्रक होते है, फ़ल गोल कठोर और बड़े आकार का होता है ।
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इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं ।
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सहचर, सैरेयक, पियाबाँसा यह एक बहुवर्षायु कंटकित क्षुप होता है जो कि उष्ण स्थानो पर प्रायश: शुष्क भुमि पर मिलता है ।
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मंदार 3 से 9 फुट उँचे वर्षानुवर्षी या बहुवर्षायु तथा बहुशाखी क्षुप होते हैं जो एक प्रकार के दुग्धमय एवं चरपरे रस (
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इसका मूलस्तम्भ बहुवर्षायु होता है, जिससे 10 से 30 सेण्टीमीटर लम्बी, रोमयुक्त, कुछ-कुछ उठी शाखाएँ चारों ओर फैली रहती हैं ।
26.
बहुवर्षायु क्षुप, छोटे बीजों (कंटक युक्त) की मंजरी युक्त, इसके बीज यदि कपड़ों से स्पर्श हो जाते है तो चिपक जाते हैं ।
27.
अग्निमंथ, अरणी इसका बहुवर्षायु क्षुप होता है जो कि झुण्ड बनाकर बड़ता है, पत्र लट्वाकार और अभिमुख होते है पुष्प सफ़ेद होते है ।
28.
तुलसी का पौधा सुगंधित, बहुशाखी, बहुवर्षायु, 1-3 फीट ऊंचा, शाखाएं गोल, आमने-सामने व सीधी ऊपर की ओर जाती हैं।
29.
मंदार 3 से 9 फुट उँचे वर्षानुवर्षी या बहुवर्षायु तथा बहुशाखी क्षुप होते हैं जो एक प्रकार के दुग्धमय एवं चरपरे रस (Acrid Juice) से परिपूर्ण होते हैं ।
30.
अडुसा, वासा, वाजीदन्त,सिंहास्य यह एक बहुवर्षायु क्षुप होता है और भारत वर्ष मे लगभग हर जगह मिल जाता है, इसके पुष्प सफ़ेद रंग के और मण्जरियों मे आते है, स्वाद मे ये मीठे होते