जरा कल्पना कीजिए कि किसी स्त्री का पहाड़ में विवाह हुआ हो और उसके पति को अगले ही दिन अपनी रोजी के लिए या अपनी डयूटी के लिए जाना है तो दोनों को कैसा लगेगा? यहां तो ऐसा भी खूब हुआ है कि शादी हुई और सुहागरात की तो बात ही दूर है, दोनों ने एक दूसरे की शक्ल भी नहीं देखी और मिलन के इंतजार में लंबा समय गुजर गया।