जैसे कन्या-भ्रूण की हत्या इस देश में घटित होती है या फिर नारी-जीवन को आजीवन बंधन में रखने, तड़पाने, तड़पा-तड़पाकर मारने, जलाने आदि की घटनाएँ आम हैं, उसी तरह यहाँ घरवालों और बाहरी दोनों के दुर्व्यवहार से पीड़ित हिन्दी का उद्भव और विकास उसके जन्म-काल से अब तक बाधाग्रस्त रहा है |